स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

बजट में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आवंटन में वृद्धि

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश बजट 2023-24 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को 16,361 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह आवंटन पिछले बजट में प्राप्त राशि से 2000 करोड़ अधिक है। यह आंकड़े वित्त मंत्रालय द्वारा नये वित्तीय वर्ष के लिए बजट अनुमान के हिस्से के रूप में जारी किए गए हैं। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मंत्रालय को 14,217.46 करोड़ मिले थे। इस बार बजट आवंटन में उछाल कई बड़ी योजनाओं के कारण आया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए उत्कृष्टता के नये केंद्र स्थापित करना शामिल है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उत्कृष्टता केंद्र अंतःविषयक अनुसंधान करेंगे और कृषि, स्वास्थ्य एवं स्मार्ट शहरों के लिए एप्लिकेशन विकसित करेंगे।

अंतरिक्ष विभाग के बजट में कटौती

बजट राशि को मंत्रालय के तीन विभागों में बांटा गया है, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) शामिल हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग को 2683.86 करोड़ और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को 7931.05 करोड़ आवंटित किए गए हैं। वहीं, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान विभाग को 5746.51 करोड़ दिए गए हैं। अंतरिक्ष विभाग के बजट में पिछले वित्तीय वर्ष से 1100 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। केंद्र ने इस विभाग को अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए 12543.91 करोड़ रुपये आवंटित किए है जबकि, वर्ष 2022-23 के बजट में अंतरिक्ष विभाग को 13,700 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था। इसरो को विश्व स्तर पर लागत प्रभावी मिशन संचालित करने के लिए जाना जाता है। बजट में कटौती के बाद लागत प्रभावी अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देने वाले इसरो को अब पहले से अधिक किफायत से काम करना होगा।

हाइड्रोजन मिशन को 19,700 करोड़

उल्लेखनीय है कि एक बड़े नीतिगत निर्णय द्वारा हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए खोल दिया गया है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी वर्तमान में कुछ बड़े मिशनों पर काम कर रही है जिसमें चंद्रयान-3 मिशन, गगनयान मिशन और सूर्य के निरीक्षण के लिए आदित्य एल-1 मिशन शामिल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को वर्ष 2023-24 के बजट में 3079.40 करोड़ रुपये प्राप्त हुए क्योंकि भारत अपने शुद्ध-शून्य लक्ष्यों तक पहुँचने के लिए जोर दे रहा है। एनर्जी ट्रांजिशन इन्वेस्टमेंट के लिए 35,000 करोड़ दिए जाएंगे। राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का आवंटन 19,700 करोड़ रुपये है। यह अर्थव्यवस्था को कम कार्बन तीव्रता और हरित अर्थव्यवस्था में बदलने की सुविधा प्रदान करेगा। हाइड्रोजन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 05 एमएमटी के वार्षिक उत्पादन तक पहुँचना होगा।

इंडिया साइंस वायर से साभार

Related posts

दिल्ली के इन क्षेत्रों को किया गया सील…

Ashutosh Kumar Singh

भूखमरी की कगार पर अरुणाचल के एनएचएमकर्मी, बैठे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर…

Ashutosh Kumar Singh

NHA ने भारतीय गुणवत्ता परिषद के साथ हाथ मिलाया

admin

Leave a Comment