नई दिल्ली। आगामी 7 अप्रैल को ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस’ मनाया जायेगा। यह अवसर इसलिए भी भारतीयों के लिए खास होगा क्योंकि आज पूरा विश्व में स्वास्थ्य को लेकर भारतीय चिंतन की धूम है। चाहे योग हो या आयुर्वेद। इसके प्रति रुझान बढ़ता जा रहा है।
आयुष दवाओं का व्यापक बाजार
दुनिया ने देखा कि मार्च की शुरुआत में कतर में एक योग कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें 114 देशों के नागरिकों ने हिस्सा लेकर एक नया World record बनाया। इसी तरह से आयुष उद्योग का बाजार भी लगातार बड़ा हो रहा है। 6 साल पहले आयुर्वेद से जुड़ी दवाइयों का बाजार 22 हजार करोड़ रुपए के आसपास का था। आज यह एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए के आसपास पहुँच रहा है, यानि इस क्षेत्र में संभावनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। स्टार्टअप क्षेत्र में भी, आयुष आकर्षण का विषय बनता जा रहा है।
स्टार्टअप की लंबी कतार
Health sector में देखा जाये तो तो उपलब्धियों की लंबी सूची है और मार्च में प्रसारित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ में इन सबों का संक्षेप में जिक्र भी हुआ है। उन्होंने कुछ ऐसे र्स्टाटअप का भी जिक्र किया जो बेहतर काम कर रहे हैं। ये भारत के युवा उद्यमियों और भारत में बन रही नई संभावनाओं का प्रतीक है। Ayush startpus की देश में लंबी कतार है। मसलन एक कपिवा (Kapiva) है। इसके नाम में ही इसका मतलब छिपा है। इसमें Ka का मतलब है-कफ, Pi का मतलब है-पित्त और Va का मतलब है-वात। यह देश की परम्पराओं के मुताबिक Healthy eating habits पर आधारित है। एक और startpus निरोग-स्ट्रीट है। Ayurveda healthcare ecosystem में एक अनूठा आइडिया है। इसका Technology & driven Platform दुनिया-भर के आयुर्वेद चिकित्सकों को सीधे लोगों से जोड़ता है। आज की तारीख में 50 हजार से अधिक चिकित्सक इससे जुड़े हुए हैं। इसी तरह आत्रेय Innovations एक Healthcare technology startups है, जो Holistic wellness के क्षेत्र में काम कर रहा है। इक्जोरियल ने न केवल अश्वगंधा के उपयोग को लेकर जागरूकता फैलाई है, बल्कि क्वालिटी प्रोडक्शन में भी बड़ी मात्रा में निवेश किया है। Cureveda (क्योरवेदा) ने जड़ी-बूटियों के आधुनिक शोध और पारंपरिक ज्ञान के संगम से Dieatry supplements का निर्माण किया है।
पीएम की सलाह
पीएम ने Heaith sector और विशेषकर Ayush startups से एक आग्रह भी किया कि जो भी Portal बनते हैं वो संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता प्राप्त सभी भाषाओँ में भी बनाने का प्रयास करें। दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहाँ अंग्रेजी न इतनी बोली जाती है और ना ही इतनी समझी जाती है। ऐसे देशों को भी ध्यान में रखकर अपनी जानकारी का प्रचार-प्रसार करें। इससे एक बड़ा प्लेटफॉर्म तैयार हो जायेगा।