कृष्णा नारायण
नई दिल्ली। वसुधैव कुटुंबकम की बात करने वाले देश भारत का दिल क्या इतना मजबूत है कि वह पूरी बसुधा को एक परिवार की भांति रख सके? एक सर्वे के अनुसार विश्व के कुल हृदय रोगियों में 60 प्रतिशत सिर्फ भारत में हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चों में दिल की बीमारी बढ़ती जा रही है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार इस संस्थान में किये जाने वाले दिल के ऑपरेशन का कुल 40 प्रतिशत बच्चों के दिल का किया जाता है। हर रोज इसके कारण मरते जा रहे लोगों के मद्देनजर दिल के रोग को नंबर एक किलर कहा जाने लगा है।
आखिर ये दिल है क्या?
संस्कृत में इसे हृदय कहा जाता है-‘हरये ददाति ययाति इति हृदय’। अशुद्धि का हरण करके शुद्ध रूप में वापस देने का काम जो करे वह हृदय है। मानव शरीर में अशुद्ध रक्त को शुद्ध करके वापस शरीर में भेजने का काम हृदय का है। हृदय रोग पर आगे बढ़ने से पहले दो बातों की जानकारी होनी जरूरी है।
1. अमेरिका ने 1954 से 1959 तक 110 मिलियन डॉलर खर्च करके एक शोध करवाया ‘डाइट एंड हार्ट डिजीज’। शोध का परिणाम क्या निकला ? यह कि ‘डाइट हैज नथिंग तो डू विथ हार्ट डिजीज’। मतलब भोजन का दिल की बीमारी से कोई लेना देना नहीं है। इसके बाद उन्होंने इसमें एक मिथ जोड़ा फैट का।
2. कैलिफोर्निया के टेनेट हॉस्पिटल के कार्डियक सर्जिकल यूनिट पर एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि यहाँ वगैर जरूरत के हृदय का ऑपरेशन किया जाता है। जाँच एजेंसी FBI ने जांच की और आरोप को सत्य पाया। उसने अपनी जांच में यह पाया कि पचास प्रतिशत से भी ज्यादा ऑपरेशन सिर्फ पैसे के लिए किया गया था। हॉस्पिटल ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट के द्वारा इस केस को 54 मिलियन डॉलर देकर निबटाया। अमेरिका के स्वस्थ्य के क्षेत्र में यह सबसे बड़ी रकम अदायगी थी। उन्हें अपना कार्डियक यूनिट बंद कर देना पड़ा। इन दो बातों की चर्चा यहाँ इसलिए जरूरी है कि हम डॉक्टर और दवा बनाने वाले कंपनियों के बीच के साथ गाँठ को समझ सकें।
बीमारी की कुंडली
इन सब से बचना है तो अपनी कुंडली से खुद ही जाने हृदय के रोग के बारे में क्योंकि डॉक्टर आपको ये नहीं बताता कि कब आप बीमार होंगे। इस ‘कब’ की जानकारी आपको ज्योतिष से ही मिल सकती है। कोई भी रोग अचानक नहीं होता। तो कब होगा दिल का रोग और होने के बाद कैसी रहेगी स्थिति, दवा से ही ठीक हो जायेगा या ऑपरेशन करवाना पड़ेगा, इन सभी बातों को आप अपनी कुंडली से जान सकते हैं। तो आप सब अपनी अपनी कुंडली निकालिये और खुद जानिए इस रोग के कारण और निदान। खुद जानेंगे तो भ्रम में जाने से तो बचेंगे ही, साथ ही साथ डॉक्टर के जाल में फंसने से भी बच जायेंगे और समय रहते समुचित कदम उठा पाएंगे।
ज्योतिष की नजर में
चतुर्थ भाव-चतुर्थेश (दिल के लिए) और सूर्य (कारक) की स्थिति को देखें। लग्न (लग्नेश), केंद्र और त्रिकोण की स्थिति को देखें। ये अगर पीड़ित हैं मतलब अशुभ प्रभाव में हैं तो हृदय रोग की स्थिति बनाते हैं। इनके साथ अगर पंचम (पंचमेश) जुड़ जाए तो मानसिक परेशानी या ब्लड प्रेशर की वजह से दिल के रोग के होने की स्थिति बनती है। इनके साथ अगर चन्द्रमा जुड़ जाये तो असामान्य दिल की धड़कन की स्थिति बनती है।