नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। शोधकर्ताओं ने अग्नाशय और ग्लायोमा कैंसर जैसे कैंसरों में कुछ सामान्य मेटाबोलाइट्स की पहचान की है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी की ग्लायल कोशिकाओं में विकसित होते हैं, जो सार्वभौमिक कैंसर बायोमार्कर के रूप में उनकी संभावना का सुझाव देते हैं। यह कैंसर के शुरुआती निदान के साथ-साथ कैंसर के लिए चिकित्सीय रणनीतियों के लिए एक नॉन इनवेसिव तरीके की संभावना प्रदान करता है।
कैंसर के कुछ प्रकार की पहचान देर से
अग्नाशय और ग्लायोमा जैसे आक्रामक कैंसर का अक्सर देर से निदान किया जाता है और रोग का आसानी से पूर्वानुमान नहीं लग पाता है। इसलिए कैंसर निदान और उपचार में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करने के लिए नॉन इनवेसिव, विश्वसनीय कैंसर बायोमार्कर की तत्काल आवश्यकता है। विशेष रूप से अग्नाशय और ग्लायोमा जैसे आक्रामक कैंसर के लिए, जिनमें शुरुआती पहचान के तरीकों की कमी है। ट्यूमर-व्युत्पन्न मेटाबोलाइट्स के वाहक के रूप में नैनो मैसेंजर (एक्सोसोम), ट्यूमर माइक्रोएन्वायरमेंट (टीएमई) का पता लगाने का एक अनूठा अवसर प्रदान करते हैं।
कैंसर के उपचार का मिला आधार
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएनएसटी), मोहाली के वैज्ञानिकों की एक टीम, जिसमें सुश्री नंदिनी बजाज और डॉ. दीपिका शर्मा शामिल हैं, ने अग्नाशय के कैंसर, फेफड़े के कैंसर और ग्लायोमा कैंसर सेल लाइन से प्राप्त एक्सोसोम में मेटाबोलाइट्स की पहचान की है, जो संभावित सार्वभौमिक बायोमार्कर प्रदान करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप नैदानिक प्रयोज्यता में वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, ट्यूमर माइक्रोएनवायरनमेंट (टीएमई) के भीतर चयापचय संबंधी अंतःक्रियाओं की अंतर्दृष्टि लक्षित उपचारों के लिए एक आधार प्रदान करती है।
कैंसर की प्रगति का पता चल सकेगा
स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार शोधकर्ताओं ने नैनोपार्टिकल ट्रैकिंग एनालिसिस (NTA), इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (EM), वेस्टर्न ब्लॉट (WB), फूरियर ट्रांसफॉर्मेड इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी (FTIR), अनटार्गेटेड लिक्विड क्रोमैटोग्राफी-टेंडेम मास स्पेक्ट्रोमेट्री (LC-MS/MS) और न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) को मिलाकर एक बहु-तकनीक का उपयोग किया, जिससे पारंपरिक एकल-विधि अध्ययनों को पार करते हुए एक्सोसोम का व्यापक लक्षण प्रदान किया गया। यह अध्ययन कैंसर निदान, व्यक्तिगत चिकित्सा और कैंसर प्रगति तंत्र की हमारी समझ को आगे बढ़ाता है। पहचाने गए ये मेटाबोलाइट्स ट्यूमर माइक्रोएनवायरनमेंट (टीएमई) में अनियमित मार्गों को उजागर करते हैं, साथ ही यह भी जानकारी देते हैं कि कैंसर किस प्रकार बढ़ता है और गैर-आक्रामक और सटीक कैंसर का पता लगाने और चिकित्सीय लक्ष्य निर्धारण को सक्षम बनाते हैं।
कैंसर का सटीक उपचार संभव होगा
नैनोस्केल पत्रिका में प्रकाशित शोध से लक्षित उपचारों की ओर अग्रसर हो सकता है जो ट्यूमर में अनियमित चयापचय मार्गों को बाधित करते हैं, उपचार की प्रभावकारिता को बढ़ाते हैं और संभावित रूप से दुष्प्रभावों को कम करते हैं। यह प्रगति रोगी के परिणामों में उल्लेखनीय रूप से सुधार कर सकती है, विशेष रूप से व्यक्तिगत, सटीक चिकित्सा दृष्टिकोणों के माध्यम से।
महिलाओं के कैंसर का टीका जल्द : जाधव
उधर स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा है कि महिलाओं को होने वाले कैंसर के इलाज के लिए पांच से छह महीने में टीका उपलब्ध हो जाएगा और नौ से 16 वर्ष की लड़कियां इसके लिए पात्र होंगी। केंद्रीय आयुष मंत्री ने बताया कि टीके पर शोध का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और परीक्षण जारी है। देश में कैंसर के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है और केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए कदम उठाए हैं।
कैंसर वैक्सीन पर शोध का काम पूरा
उन्होंने बताया कि 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की अस्पतालों में जांच की जाएगी और बीमारी का जल्द पता लगाने के लिए डेकेयर कैंसर सेंटर स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर सीमा शुल्क भी हटा दिया है। मंत्री ने कहा कि महिलाओं को प्रभावित करने वाले कैंसर के लिए टीके पर शोध का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और परीक्षण जारी है। यह पांच से छह महीने में उपलब्ध हो जाएगा और नौ से 16 वर्ष की आयु की लड़कियां टीकाकरण के लिए पात्र होंगी।