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फैसला : अब पशुओं के लिए भी अब जेनेरिक दवाएं मिलेगी

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नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय कैबिनेट ने पशुओं के लिए भी उच्च गुणवत्ता वाली और जेनेरिक दवाओं का रास्ता खोल दिया है। पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (LHDCP) में संशोधनों को मंजूरी देने से अब किसानों एवं पशुपालकों को लाभ मिलेगा। इस पर 3,880 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। जान लीजिए कि पशुओं में भी विभिन्न तरह की बीमारियां होती हैं, जिनमें खुरपका-मुंहपका रोग, ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स, सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF), लंपी स्किन डिजीज आदि शामिल हैं। इनसे उत्पादकता में कमी के साथ पालकों का खर्च भी बढ़ता है। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन एवं टीकाकरण के जरिये बीमारियों पर नियंत्रण और उपचार में मदद मिलेगी।

फैसला कई घटकों में विभाजित

फैसले की जानकारी देते हुए मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस योजना के तीन घटक हैं–राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP), पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण (LHADC) और पशु औषधि। एलएचएंडडीसी के तीन उप-घटक हैं—गंभीर पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (सीएडीसीपी), मौजूदा पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना और सुदृढ़ीकरण–मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई (ईएसवीएचडी-एमवीयू) और पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी)। एलएचडीसीपी योजना में पशु औषधि को एक नए घटक के रूप में जोड़ा गया है। दो वर्षों यानी 2024-25 और 2025-26 के लिए योजना का कुल परिव्यय 3880 करोड़ रुपये है, जिसमें पशु औषधि घटक के तहत अच्छी गुणवत्ता वाली और सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवा और दवाओं की बिक्री के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 75 करोड़ रुपये का प्रावधान शामिल है।

फैसले से पालकों को होगा लाभ

एलएचडीसीपी के कार्यान्वयन से टीकाकरण के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम करके इन नुकसानों में कमी आएगी। यह योजना मोबाइल पशु चिकित्सा लिंट्स (ईएसवीएचडी-एमवीयू) के उप-घटकों के माध्यम से पशुधन स्वास्थ्य देखभाल की डोर-स्टेप डिलीवरी और पीएम-किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के नेटवर्क के माध्यम से जेनेरिक पशु चिकित्सा दवा-पशु औषधि की उपलब्धता में सुधार का भी समर्थन करती है। इस प्रकार यह योजना टीकाकरण, निगरानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के उन्नयन के माध्यम से पशुधन रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में मदद करेगी। इस योजना से उत्पादकता में सुधार होगा, रोजगार पैदा होगा, ग्रामीण क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा और बीमारी बोझ के कारण किसानों को होने वाले आर्थिक नुकसान को रोका जा सकेगा।

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