नई दिल्ली/26.11.15
बीमारियों को आप किसी भूगोल की सीमा में नहीं बांध सकते हैं। उनकी मारक क्षमता किसी परमाणु बम से कहीं ज्यादा है। ऐसे में बीमारियों से लड़ने के लिए वैश्विक तालमेल की बहुत ही जरूरत है। इसी संदर्भ में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमन को लागू करने के प्रति मजबूत संकल्प के संकेत दिये हैं। इस अवसर पर भारत में कार्यरत संगठन के कार्यालय ने गोवा में 18-19 नवम्बर, 2015 को अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक ने अंतरक्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय विचार-विमर्श का आयोजन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. (प्रोफेसर) जगदीश प्रसाद ने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक की विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया और नियामक की जबरदस्त क्षमता, राज्य स्तर पर उसकी क्षमता निर्माण, खासकर अस्पतालों की तैयारी और संक्रमण नियंत्रण पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया।
इस अवसर पर बोलते हुए स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. (प्रोफेसर) जगदीश प्रसाद ने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक की विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया और नियामक की जबरदस्त क्षमता, राज्य स्तर पर उसकी क्षमता निर्माण, खासकर अस्पतालों की तैयारी और संक्रमण नियंत्रण पर और ज्यादा ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया।
अपने संबोधन में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अंशु प्रकाश ने जोर देकर कहा कि रोगाणु राजनीतिक सीमाएं नहीं पहचानते। इसलिए विभिन्न देशों में पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक विश्व के लिए रोकथाम, रिपोर्टिंग, सूचना को साझा करने और तैयारी संबंधी बड़ी लड़ाई हैं। भारत 2016 में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामक की नियमावली के पालन के प्रति कृतसंकल्प है।”
भारत सरकार ने 2016 में पूरी तरह इस दिशा में कदम उठाने के लिए इसके नियमों को लागू करने को प्राथमिकता दी है। उसने इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ाकर इसकी क्षमताओं में इजाफा किया है, खासकर इबोला और मार्स-सीओवी जैसे उभरते वैश्विक खतरे को देखते हुए इसमें वृद्धि की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत कार्यालय के स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संयोजक डॉ. प्राकिन सुचसैया ने इस मौके पर कहा कि ‘राष्ट्रीय और अंतरप्रांतीय-दोनों स्तरों पर तैयारियां, प्रयोगशाला में जांच, जवाबदेही और निगरानी जैसी जबरदस्त क्षमताओं का निर्माण करना बहुत जरूरी है। इसने जन स्वास्थ्य के लिए विभिन्न एजेंसियों और सेक्टरों से मिलकर करीब आने का आह्वान किया। नियामक ने कहा कि बिना इसके सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र अपना काम नहीं कर सकता।‘
बैठक में स्वास्थ्य के जिन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने प्रतिनिधित्व किया, उनमें शामिल हैं- मानव स्वास्थ्य, मवेशी स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, प्रवेश द्वारों (बंदरगाह, हवाई अड्डे और चौराहे), परमाणु ऊर्जा, जहाजरानी, विमानपत्तन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन और जवाब, आपातकालीन चिकित्सा और राहत, विश्व स्वास्थ्य और सशस्त्र बल संबंधी स्वास्थ्य विभाग। इसके अलावा राष्ट्रीय विषाणु केंद्र, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, राष्ट्रीय संक्रमण संवाहक रोकथाम कार्यक्रम, परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र- मुंबई आदि।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के भारत कार्यालय के स्वास्थ्य कार्यक्रमों के संयोजक डॉ. प्राकिन सुचसैया ने इस मौके पर कहा कि ‘राष्ट्रीय और अंतरप्रांतीय-दोनों स्तरों पर तैयारियां, प्रयोगशाला में जांच, जवाबदेही और निगरानी जैसी जबरदस्त क्षमताओं का निर्माण करना बहुत जरूरी है। इसने जन स्वास्थ्य के लिए विभिन्न एजेंसियों और सेक्टरों से मिलकर करीब आने का आह्वान किया। नियामक ने कहा कि बिना इसके सिर्फ स्वास्थ्य क्षेत्र अपना काम नहीं कर सकता।‘
बैठक में स्वास्थ्य के जिन क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने प्रतिनिधित्व किया, उनमें शामिल हैं- मानव स्वास्थ्य, मवेशी स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, प्रवेश द्वारों (बंदरगाह, हवाई अड्डे और चौराहे), परमाणु ऊर्जा, जहाजरानी, विमानपत्तन प्राधिकरण, आपदा प्रबंधन और जवाब, आपातकालीन चिकित्सा और राहत, विश्व स्वास्थ्य और सशस्त्र बल संबंधी स्वास्थ्य विभाग। इसके अलावा राष्ट्रीय विषाणु केंद्र, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान, राष्ट्रीय संक्रमण संवाहक रोकथाम कार्यक्रम, परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र- मुंबई आदि।