सुरेंद्र किशोर
पटना। स्वामी रामदेव के पतंजलि संस्थान के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘‘महंगी और गैर जरूरी दवाइयां लिखते हैं डॉक्टर।’’ सुप्रीम कोर्ट की बात काफी हद तक सही है। पर, आज भी डॉक्टरी पेशे में कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हें ‘धरती का भगवान’ कहा जा सकता है। पहले ऐसे डॉक्टरों की संख्या अधिक थी, अब कम होती जा रही है। जब पूरे कुएं में ही भांग पड़ी हो तो बाल्टी में आखिर क्या निकलेगा?
इन विपरीत परिस्थितियों में भी मैं एक वैसे ही अच्छे चिकित्सक की चर्चा करने से खुद को नहीं रोक पा रहा हूं। वे हैं पद्मश्री डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा। पटना के मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट। यूं बता दूं कि गोपाल बाबू के पुत्र हैं भाजपा के अजय आलोक जिन्हें आप टी.वी.चैनलों पर देखते होंगे। वैसे दोनों डॉक्टर साहबों में से किसी से मेरा व्यक्तिगत परिचय नहीं है।
कई साल पहले मेरे ड्राइवर को न्यूरो प्रॉब्लम हुआ। उसने पटना के एक बहुत बडे़ चिकित्सक से सलाह ली। उस डॉक्टर साहब ने एक साथ आठ दवाइयां लिख दीं। वह दवाएं लेने लगा। उसकी हालत सुधरने की जगह बिगड़ने लगी। किसी ने उसे डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा के यहां पहुंचा दिया। गोपाल बाबू ने उसकी दवाएं आधी कर दी। अब मेरा ड्राइवर ठीक है और मेरे यहां काम कर रहा है।
मैं सबसे पहले धरती के जिस भगवान से पटना में मिला था, वे थे डॉ. शिवनारायण सिंह। अब नहीं रहे। सत्तर के दशक में उनसे मिला। वे तब राजेंद्र नगर में रहते थे।
मैंने कहा कि मेरी जांच कर दीजिए और कुछ दवा लिख दीजिए। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और कहा कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है। तुम्हें किसी दवा की जरूरत नहीं है। याद रहे कि मैं एक सामान्य नागरिक के रूप में उनसे मिला था।
मैंने जिद की-पैथोलॉजिकल जांच लिख दीजिए। उन्होंने सवाल किया-तुम्हारे पास बहुत पैसे हैं क्या? क्यों पैसे बर्बाद करना चाहते हो? मेरेे फिर से कहने पर उन्होंने जांच लिख दी। जांच रपट लेकर उनसे मिला तो उन्होंने कहा कि मैंने कहा था कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है। उसके बाद उन्होंने आई.डी.पी.एल निर्मित कुछ दवाएं लिख दीं। उसकी कीमत होती थी-10 पैसे प्रति टेबलेट। खुद शिवनारायण बाबू की फीस थी 7 रुपये।
बाद में कुछ अन्य अच्छे जनसेवी डॉक्टरों के नाम मैंने सुने। सी.पी.आई.से जुड़े डॉ. ए.के. सेन, यानी धरती के भगवान। एक अच्छे और समाजसेवी चिकित्सक। सन 1969 में सेन साहब पटना पश्चिम विधान सभा चुनाव क्षेत्र से सी.पी.आई.से विधायक चुने गये थे। राजेंद्र नगर में रहते थे। सेन साहब गरीबों के लिए तो सचमुच धरती के भगवान थे।
डॉ. शिवनारायण सिंह के शिष्य डॉ. अरुण तिवारी का नाम सुना है। पटना के महेंद्रू मुहल्ले में प्रैक्ट्रिस करते हैं। योग्यत्तम डॉक्टर और लघुत्तम फीस।
हाल में किसी से मैंने पूछा तो पता चला कि अब प्रैक्टिस नहीं करते। पर, अच्छे डॉक्टरों के बारे में कभी-कभी कुछ बेईमान लोग यह अफवाह फैला देते हैं कि वे नहीं रहे या वे अब प्रैक्टिस नहीं करते। जो लोग आज भी इलाज के लिए डॉ. तिवारी से मिलना चाहते हैं, वे महेंद्रू मुहल्ला जाकर पहले पता कर लें, तब मेरी बात पर विश्वास करें।
अंत में पतंजलि के बारे में
मेरा मानना है कि कुछ मामलों में स्वामी रामदेव का बड़ा योगदान है। कम से कम अनुलोम -विलोम को तो उन्होंने लोकप्रिय बना दिया। मैंने उनसे ही लिया। लाभ हुआ। यह है पूर शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का उपाय। कई साल पहले पटना के हड्डी के सबसे बड़े अस्पताल के निदेशक डॉ. दिवाकर से मैं मिला था अपने सर्वाइकल स्पोंडिलिसिस को लेकर। उन्होंने अन्य बातों के साथ ही यह भी सलाह दी कि आप अनुलोम-विलोम करिए। फायदा होगा।
शुरू में तो पतंजलि उत्पादों की गुणवत्ता ठीकठाक लगी। पर, जब बाबा ने आउटसोर्स करके विस्तार का लोभ किया तो गुणवत्ता प्रभावित हुई। मैंने पांच साल पहले पतंजलि को कई पत्र लिखे और गुणवत्ता की जांच करा लेने की सलाह दी। कोई जवाब नहीं आया। अब बाबा कानूनी परेशानी में हैं तो मुझे कोई दुख नहीं हो रहा है। खुद को सुधारें स्वामी रामदेव। अब भी मैं उनका प्रशंसक हूं, पर कुछ शर्तों के साथ।
और अंत में
मैं आयुर्वेद को लोअर कोर्ट, होमियोपैथ को हाईकोर्ट और एलोपैथ को सुप्रीम कोर्ट मानता हूं। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट की ही शरण में जाने की फजीहत उठातें हुए वकीलों को आप दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट में यदाकदा देख सकते हैं। बारी-बारी से ही जरूरत के अनुसार नीचे से ऊपर की ओर उठिए। अन्यथा, अत्यधिक एलोपैथी दवाओं कें साइड इफेंक्टस से शरीर नाहक बर्बाद होगा।