अजय वर्मा
नयी दिल्ली। अभी तक जून 2023 को दुनिया का सबसे गर्म महीना माना गया था लेकिन जुलाई के तीन सप्ताह में ही साबित हो गया कि बीते सैकड़ों सालों में यह महीना भी सबसे गर्म रहा है। नासा के जलवायु विज्ञानी गेविन शिमिट ने दावा किया है। दावों के अनुसार 2024 में और हालत बिगड़ेंगे।
पूरी दुनिया में हो रहे अभूतपूर्व बदलाव
उन्होंने यूरोपीय यूनियन और यूनिवर्सिटी ऑफ मेन के जमीनी और उपग्रह डाटा का विश्लेषण कर ऐसा कहा है। उनके मुताबिक हम दुनिया भर में अभूतपूर्व बदलाव देख रहे हैं। अमेरिका, यूरोप और चीन में जो गर्म हवाएं चल रही हैं, वह आए दिन रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। शिमिट ने कहा कि अल नीनो प्रभाव ही दुनिया का तापमान बढ़ने की अकेली वजह नहीं है बल्कि इसकी प्रमुख वजह पर्यावरण में ग्रीन हाउस गैसों का लगातार उत्सर्जन और इनमें कमी नहीं आना है। 2023 हाल के सालों में सबसे गर्म साल रह सकता है।
2024 में और बिगड़ेंगे हालात
उन्होंने चेतावनी दी कि 2024 में हालात और बिगड़ सकते हैं। अल नीनो प्रभाव अभी उभरा है और इस साल के अंत तक यह चरम पर होगा। इसके कारण ही 2024 के और अधिक गर्म रहने की आशंका है। उन्होंने कहा है कि सामान्य परिस्थितियों में प्रशांत महासागर में जब हवाएं चलती हैं तो वह भूमध्य रेखा से होते हुए अपने साथ प्रशांत महासागर की सतह पर मौजूद गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की तरफ ले जाती हैं। सतह के गर्म पानी की जगह समुद्र की गहराइयों का ठंडा पानी सतह पर आ जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को अपवेलिंग (उत्थान) कहा जाता है। अल नीनो प्रभाव में यह प्रक्रिया बदल जाती है, जिसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर होता है।
अन्य देशों में इसीलिए बढ़ी गर्मी
उनके मुताबिक अल नीनो प्रभाव के दौरान प्रशांत महासागर से हवाएं धीमी चलती हैं, जिससे प्रशांत महासागर की सतह का गर्म पानी अमेरिका के पश्चिमी तटों से होते हुए पूर्व की तरफ चला जाता है। इसके चलते पश्चिम से पूर्व की तरफ चलने वाली तेज हवाएं, जिन्हें प्रशांत जेट स्ट्रीम कहा जाता है, वह अपनी तटस्थ जगह यानी दक्षिण की तरफ चली जाती हैं। इसके चलते अमेरिका, कनाडा में सामान्य से ज्यादा गर्मी बढ़ जाती है।
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