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फार्मासिस्ट लायसेंस की जुगाड़ में महाराष्ट्र के दवा व्यापारी

 

लाइसेंस के इंतज़ारमें में परेसान केमिस्ट
लाइसेंस के इंतज़ारमें में परेसान केमिस्ट

 
मुंबई/
महाराष्ट्र में एफडीए प्रशासन द्वारा रिटेल दवा व्यापार नियम एक्ट पालना शख्ती अभियान शुरू होने के बाद डी फार्मा रजिस्टर फार्मासिस्ट की मुम्बई समेत राज्य के शहरी इलाकों में जोरदार डिमांड बढ़ा है। साल 2012-13 में तत्कालीन एफडीए आयुक्त महेश झगड़े ने रिटेल मेडिकल शॉप में फूल टाइम रजिस्ट्रर फार्मासिस्ट उपस्थिति,प्रतिबंधित मेडिसन लेखा-जोखा जाँच पड़ताल मुहीम शुरू कर मुंबई, पुणे,ठाणे समेत राज्य भर में लगभग डेढ़ हजार ड्रग लायसेंस रद्द एवं हजारों की संख्या में लायसेंस सस्पेंड किया था। एफडीए प्रशासन द्वारा नियम एक्ट को अमल में लाने बाद एवं फार्मासिस्टों का प्रतिमाह 15 से 25 हजार वेतन बचाने के प्रयास में मेडिकल स्टोर्स संचालक फार्मासिस्ट लायसेंस प्राप्त करने का जुगाड़ लगा रहे है। हाल ही में यह मामला सामने आया कि10 वीं पास दुकानदार,महाराष्ट्र,राजस्थान,मध्य प्रदेश में 12 वीं बोर्ड परीक्षा पास कर जोधपुर, मध्य प्रदेश, दिल्ली की मेडिकल कॉलेज में नक़लबाजी के माध्यम से पास हो कर मात्र डेड से दो लाख की पूंजी खर्च कर आसानी से डी फार्मा फार्मासिस्ट लायसेंस प्राप्त कर रहे है। सूत्रों से यह भी पता चला है कि मेडिकल कॉलेजों में नकलबाजी करने वाले डी फार्मा धारक पहले स्थानीय स्तर पर रजिस्टेशन करवाते है और कुछ माह बीत जाने के बाद महाराष्ट्र में ट्रांसफर करवाते है। इस तर्ज पर वर्ष 2015 अंतिम तक करीब 15 से 20 व्यक्ति डी फार्मा (फार्मासिस्ट) लायसेंस प्राप्त कर चुके है। मेडिकल कॉलेज नकल बाजी माध्यम से फार्मासिस्ट बनने वाले दवा कारोबारियों की आयु में 45 से 50 साल बीच है। दुकानदार गंवा चुके पूंजी महाराष्ट्र में रजिस्टर फार्मासिस्ट की डिमांड बढ़ने के बाद डी फार्मा का लायसेंस प्राप्त करने की जुगाड़ में दलालों के झांसे में आकर मंबई,ठाणे जिला के कई मेडिकल दुकानदार लाखों की पूंजी गंवा चूके है। एजेंट डेढ़ से दो लाख की पूंजी लेकर गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। कॉलेज-कॉउंसिल में एजेंट सक्रिय डी फार्मा नया रजिस्टेशन हो अथवा ट्रांसफर करवाने का विषय हो इन दिनों महाराष्ट्र,जयपुर,जोधपुर,मध्य प्रदेश की फार्मासिस्ट कॉउंसिल में एजेंट सक्रिय है। बिना एजेंट आम व्यक्ति के कार्य करवाना आसान नही है। एजेंट गिरोह स्थानीय स्तर पर मेडिकल कॉलेजों में डी फार्मा प्रथम-द्वतीय साल वार्षिक लिखित परीक्षा में पैसे की लेनदेन कर कॉलेज संचालकों से नकलबाजी की सिफारिश करते है।

“तमाम जांच के बाद लायसेंस जारी डी अथवा बी फार्मा धारक के कॉलेज-कॉउंसिल,स्थानीय स्थाई पता समेत तमाम दस्तावेजों की पूरी जांच-पड़ताल के बाद प्रमाण-पत्र लायसेंस जारी किया जाता है। फर्जी दस्तावेज होने की शंका पर करीब दो माह पूर्व तीन लोगों के खिलाफ पुलिस थाने में अपराधिक मामला दर्ज कराया है। आवश्यकता होने पर 12 वीं बोर्ड दस्तावेजों की भी छानबीन कराया जायेगा।” – रजिस्ट्रार,महाराष्ट्र स्टेट फार्मासिस्ट काउंसिल

कैलाश तांदळे, अध्यक्ष, एमआरपीए
कैलाश तांदळे, अध्यक्ष, एमआरपीए

“मामला कई बार अखबारों में आ चूका है। पिछले साल महाराष्ट्र पुलिस ने यूपी फार्मेसी काउंसिल में छापेमारी कर धंधे का पर्दाफाश किया था । बावजूद इसके फार्मासिस्ट लाइसेंस का धंधा  आज भी वेरोकटोक चल रहा है। अबतक इस केस में सरकारी वकील नियुक्त नहीं किया गया है ड्रग माफियाओं केमिस्ट संगठनों और स्टेट फार्मेसी काउंसिल के मिली भगत है। धंधेबाज दोषियों को  बचाने में लगे है। हमने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द वकील नियुक्त करे।  महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, पुलिस महासंचालक और एंटीकरप्शन विभाग से इस संदर्भ में पत्राचार किया गया है ।” – कैलाश तांदळे , अध्यक्ष महाराष्ट्र रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट एसोसिएशन 

स्रोत : मनोहर रावल/ मुंबई

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