नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। मुजफ्फरपुर की लीची से लिचमिस और ड्राई फ्रूट तैयार होगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ. विकास दास ने लीची से ड्राई फ्रूट और लिचमिस बनाने की दो तकनीक के पेंटेट के लिए केंद्र सरकार को आवेदन दिया है। इस तकनीक से तीन किलो लीची से एक किलो ड्राई फ्रूट और चार किलो से एक किलो लिचमिस तैयार होगा। इन उत्पादों को एक साल तक घर में रखा जा सकेगा।
बिना बीज का रहेगा लिचमिस
मीडिया रिपार्ट के मुताबिक राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के पूर्व वरीय वैज्ञानिक डॉ. एसके पूर्वे ने विसित किया था जो अभी मोतिहारी के महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान में प्रधान वैज्ञानिक हैं। उन्होंने बताया कि लिचमिस में बीज नहीं होता है। यह किसमिस की तरह होता है। छिलका और बीज हटाकर इसे गर्म पानी में चीनी मिलाकर तीन घंटे तक छोड़ दिया जाता है। फिर 50-60 डिग्री तापमान पर माइक्रोवेव ओवन में 12 घंटे तक सुखाया जाता है। सूखने पर प्लस्टिक पैक में रखकर फ्रीज में डाल देते हैं। ड्राई लीची दो तरह की होती है। एक में छिलका और दूसरा बगैर छिलका के होता है। चीन और थाईलैंड में भरपूर मात्रा में लिचमिस और ड्राई लीची तैयार की जाती है।