स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

आर्थिक सर्वे : विदेश से मेडिकल पढ़ने वाले भारत में हो रहे फेल

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 बताती है कि भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए आवश्यक योग्यता परीक्षा में विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट्स (FMG) का पास प्रतिशत बहुत कम है। मतलब स्पष्ट है कि विदेशों की मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता में फेल तो है ही, क्लीनिकल प्रशिक्षण में कमी है। ऐसे में नीतिगत बदलाव किये जाएं ताकि विदेशों में मेडिकल पढ़ाई का आकर्षण नहीं रहे।

भारत में मेडिकल फी महंगी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अन्य पेशेवर कोर्स की तुलना में मेडिकल शिक्षा की फीस सख्त नियमों के बावजूद बहुत ज्यादा है। निजी मेडिकल कॉलेजों में MBBS की 48 फीसद सीटों के लिए फीस 60 लाख से एक करोड़ या उससे ज्यादा होती है। इस वजह से हर साल हजारों छात्र चीन, रूस, यूक्रेन, फिलीपींस और बांग्लादेश जैसे देशों में कम लागत पर पढ़ाई करने जाते हैं। जब विदेश से मेडिकल डिग्री लेने वाले छात्र भारत लौटते हैं तो डॉक्टर बनने के लिए FMG परीक्षा पास करनी होती है और अंत में 12 महीने की अनिवार्य इंटर्नशिप करनी पड़ती है।

योग्यता परीक्षा में कम सफलता दर

FMG परीक्षा में पास होने वाले छात्रों की संख्या बहुत कम है। 2023 में सिर्फ 16.65 फीसद छात्र ही यह परीक्षा पास कर सके। इसका मुख्य कारण विदेशों में कमजोर क्लीनिकल प्रशिक्षण और मेडिकल शिक्षा की निम्न गुणवत्ता है। कई बार इन छात्रों को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए कानूनी बाधाओं का भी सामना करना पड़ता है, जिससे न्यायालयों को हस्तक्षेप करना पड़ा है।

मेडिकल शिक्षा में असंतुलन

भारत में मेडिकल शिक्षा की उपलब्धता असमान रूप से बंटी हुई है। 51 फीसद स्नातक (MBBS) और 49 फीसद स्नातकोत्तर (PG) सीटें सिर्फ दक्षिण भारतीय राज्यों में केंद्रित हैं। इसके अलावा ज्यादातर मेडिकल सुविधाएं और कॉलेज शहरी इलाकों में हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। अभी शहरी क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 3.8 गुना ज्यादा है। रेडियोलॉजी, त्वचा रोग (Dermatology), स्त्री रोग (Gynecology) और कार्डियोलॉजी में ज्यादा सीटें उपलब्ध हैं, जबकि मानसिक स्वास्थ्य (साइकेट्री) और बुजुर्गों की देखभाल (गेरियाट्रिक्स) जैसी आवश्यक विशेषज्ञताओं की अनदेखी हो रही है। यह असंतुलन भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर डाल सकता है।

Related posts

पाठ्यक्रम में शामिल होगी आजादी के गुमनाम क्रान्तिवीरों की कहानियां

admin

भारत आर्थिक महाशक्ति बनने के रास्ते पर : हरिवंश

admin

पूर्वोत्तर का पहला नेचुरोपैथी संस्थान डिब्रूगढ़ में बनेगा

admin

Leave a Comment