स्वस्थ भारत अभियान ने की सीबीआई जांच की मांग
भोपाल /10.11.15
बीते दिनों मध्य प्रदेश फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में लगी आग ने नया मोड़ ले लिया है। प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने घटना के पीछे भ्रष्ट एफडीए अधिकारीयों पर आरोप लगाते हुए न्यायिक जांच की मांग की है।
स्वस्थ भारत डॉट इन से बात करते हुवे पीपीए के प्रवक्ता विवेक मौर्य ने बताया कि बीते दिनों ही एफडीए के अधिकारियों द्वारा ड्रग लाइसेंस में व्यापक धांधली की शिकायत की गई थी। विवेक ने बताया कि मध्य प्रदेश में ज्यादातर दुकानों के लाइसेंस नियम कानून को ताक पर रखकर बनाये गए है। प्रदेश में 80 फीसदी से ज्यादा मेडिकल दुकानों में किराये के लाइसेंस पर दवा दुकानों का संचालन किया जा रहा है। कही-कही एक फार्मासिस्ट के नाम पर एक से अधिक दुकानें भी चल रही हैं। विवेक ने आगे बताया कि ऐसे फार्मासिस्ट भी हैं जो सरकारी संस्थानों में कार्यरत रहते हुए भी अपना सर्टिफिकेट किराये पर दे रखे हैं ! एसोसिएशन के आगजनी की घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग कर दोषियों को दण्डित करने की मांग की है !
“आगजनी की घटना जानबूझ कर अधिकारीयों द्वारा ही अंजाम दी गई है हम घटना की जांच के साथ ही प्रदेश की सभी दवा दुकानों को पुनः लाइसेंस बनाने के साथ ही ड्रग लाइसेंस की प्रक्रिया ऑनलाइन करने की मांग करते है ताकि दुबारा ऐसी घटना की दुबारा ना हो”- अम्बर चौहान, अध्यक्ष, प्रांतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन।
गौरतलब है कि बीते दिनों राजधानी भोपाल में खाद्य एवं औषधि विभाग के दफ्तर में भीषण आग लगी थी। आग में विभाग का महत्वपूर्ण रिकॉर्ड और फाइलें जलकर खाक हो गईं। एक दर्जन दमकलों ने आग पर काबू पाया। त्यौहार के सीजन में लगी इस आग की घटना से साजिश की बू आ रही है। दरसअल, भोपाल के कोहेफिजा इलाके में खाद्य एवं औषधि विभाग का ऑफिस है। इस ऑफिस में खाद्य सामग्री के सैंपल की जांच से लेकर लाइसेंस जारी करने तक का काम होता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सुबह सात बजे ऑफिस बंद था और उसी समय अचानक दफ्तर में भीषण आग लग गई।जिसमें अकाउंट, स्टेबलिस्टमेंट और लाइसेंस सेक्शन में रखे दस्तावेज जलकर खाक हो गए। बताया गया कि आग सबसे पहले बेसमेंट में लगी थी, जहां से पूरे ऑफिस में फैल गई। फिलहाल, आग लगने के कारणों का पता नहीं चला।
बहरहाल, कोहेफिजा पुलिस आग के कारणों की जांच कर रही है. पुलिस की मानें तो आग के पीछे साजिश की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यहां पर यह भी ध्यान देने की बात है कि पिछले कई महीनों से औषधि प्रशासन के काम-काज पर स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उंगली उठानी शुरू कर दी थी। फार्मासिस्ट संगठनों ने लगातार प्रशासन पर दबाव बनाया था कि गलत तरीके से जारी किए गए लाइसेंस को रद्द किया जाए एवं किराए के लाइसेंस पर चल रही दवा दुकानों पर कार्रवाई हो।
स्वस्थ भारत अभियान के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में बहुत बड़ी साजिश नज़र आ रही है। सरकार को इसकी जांच सीबीआई से करानी चाहिए।
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न्यूज़ अपडेट : 29.11.2015
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