(डॉ. वीरेंद्र सिंह से बातचीत पर आधारित)
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। हम जानते हैं कि 21वीं सदी में कई ऐसी भौतिकवादी वैज्ञानिक क्रांतियां हुईं हैं जो मानव जाति के लिए वरदान साबित हुई हैं। बावजूद इसके गांधी जी के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। चाहे वह अहिंसा की बात हो या फिर स्वच्छता की। गांधी जी अहिंसा और स्वच्छता को शारीरिक मजबूती और स्वस्थ व सुंदर वातावरण के काफी महत्वपूर्ण मानते थे। इसके अलावा गांधीजी का यह मानना था कि सत्य और अहिंसा में सभी चीजों से ज्यादा ताकत होती है। हेल्थ 4 ऑल के ऑनलाइन शो में गांधी जी के इन विचारों पर चर्चा हुई। ज्ञात हो कि इस ऑनलाइन शो का आयोजन हर रविवार हील फाउंडेशन द्वारा किया जाता है। पिछले रविवार को भी फाउंडेशन ने अपने 24 वें एपिसोड का प्रसारण सुबह में किया। इस हेल्थकेयर शो में गांधी मार्ग के महत्व पर विस्तार से चर्चा की गयी।
सत्य का मार्ग ही गांधी जी का अस्त्र
‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद गांधी मार्ग‘ के लेखक व राजस्थान अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि गांधी मार्ग को अपनाकर हम बिना किसी समस्या व परेशानी के अपने प्रतिदिन के काम आसानी से कर सकते हैं। जरूरत है तो बस ईमानदारी व संयम के साथ गांधी जी के बताये मार्ग पर चलने की। हम जानते हैं कि गांधी का मार्ग सत्य पर आधारित है। गांधी जी का मानना था कि विचार, वाणी और कर्म के सामंजस्य को सत्य कहा जा सकता है। उनका मानना था कि यदि स्वास्थ्यकर्मी सच्चाई से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं तो भारतीय स्वास्थ्य सेवा का चेहरा अपने आप बदल जायेगा।
गांधी में तीन मुख्य बातें
गांधीवादी दर्शन से मैं कैसे प्रभावित हुआ और खुद पर इसका प्रयोग किया, इस पर डॉ. सिंह कहते हैं कि गांधी जी के विचारों ने मुझे पुस्तक लिखने के लिए प्रेरित किया। वे कहते हैं कि गलती में सुधार के लिए मुख्य तीन बातें जो मैंने गांधीवादी दर्शन से ली, उसने ना सिफ मेरी बल्कि औरों की भी जिंदगी बदल दी। ये तीन बातें थी, अपराध बोध के साथ अपनी गलतियों को स्वीकार करना, गलतियों को न दोहराने का दृढ़ निश्चय एवं गलतियों का प्रायश्चित।
खुद पर किया पहले प्रयोग
हेल्थ 4 ऑल ऑनलाइन शो के दौरान अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि मैंने अपने प्रयोग में यह पाया कि गांधी जी के बताये मार्ग पर चलकर किसी का भी हृदय परिवर्तित किया जा सकता है। अगर हम पहले ही यह बात ठान लें कि हमें झूठ नहीं बोलना है और अहिंसा के मार्ग पर चलना है तब हमारे लिए कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता है। श्री सिंह कहते हैं कि जब मैं राजस्थान अस्पताल में था, वहां के ठेका श्रमिकों ने हड़ताल कर दी थी। मैंने उनके हड़ताल को समाप्त करवाने के लिए गांधीवादी सिद्धांत लागू किया जो काफी कारगर साबित हुआ और हड़ताल पर गए मजदूर मेरे पास वापस आए और फिर से काम करने की बात करते हुए हड़ताल समाप्त कर दी। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली ऐसी घटना थी। वे कहते हैं कि गांधी जी के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात कर अपनी समसयाओं का हल काफी आसानी से कर सकते हैं। वे कहते हैं कि गांधी मार्ग पर चलकर मैंने सीखा कि दूसरों की मदद करने से एक अलग तरह की खुशी और संतुष्टि मिलती है।
सत्य कभी हारता नहीं
इस ऑनलाइन शो को मॉडरेट करते हुए हील हेल्थ एंड हील फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि गांधीवादी सिद्धांत हमेशा प्रासंगिक था और आज भी है। जरूरत है तो दिल से और सच्चे मन से इसे अपनाने की। हमने देखा है कि सत्य कभी हारता नहीं। हमेशा से इसकी जीत हुई है। इसलिए यह जरूरी है कि सत्य और अहिंसा के मूल मंत्र को समझते हुए इन्हे अपने जीवन में हम आत्मसात करे।