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अगले दो महीने में आपूर्ति की समस्या का निदान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता : सचिन कुमार सिंह, सीइओ  पीएमबीजेपी

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) से देश की आम जनता को बहुत उम्मीदें हैं। पिछले तीन-चार महीनों से प्रधानमंत्री खुद इस योजना से हुए फायदे को सभी मंचों से लगातार बता रहे हैं। ऐसे में इस जन सरोकारी परियोजना को लेकर जनता की आकांक्षाएं और बढ़ गई है। दवाइयों की मांग भी बढ़ी है। जिस तीव्रता के साथ मांग में इजाफा हुआ है उस अनुपात में दवाइयों उपलब्धता सुनिश्चित करा पाना इस समय बीपीपीआई अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। सरकार भी इस चुनौती को अच्छी तरह जानती है यही कारण है कि तेज-तर्रार एवं आउटपुट ओरिएंटेड एक युवा अधिकारी के हाथों में पीएमबीजेपी की कमान दी गई है।  पीएमबीजेपी की चुनौतियों से निपटने की नीति एवं भावी योजनाओं को समझने के लिए सचिन कुमार सिंह से स्वस्थ भारत डॉट इन के संपादक आशुतोष कुमार सिंह ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंशः

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना सरकार की एक बहुत ही महत्वाकांक्षी परियोजना है, इसको लेकर रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार, राज्य मंत्री मनसुख भाई मांडविया के साथ-साथ खुद प्रधानमंत्री बहुत दिलचस्पी दिखा रहे हैं। ऐसे में इस परियोजना से लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ चुकी हैं और अनवरत बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में जनता की उम्मीदों पर आप कैसे खड़ा उतरेंगे? वर्तमान में आपकी प्राथमिकता क्या है?
हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है कि जो स्टोर खुल चुके हैं, उनको इस तरह से बनाना कि वे कमर्सियली वायबल बन सके। स्टोर संचालकों की आमदनी इतनी हो सके कि वे अपने स्टोर को सार्थक तरीके से रन कर सकें। इससे और दोगुने जोश के साथ वे इस परियोजना को सफल बनाने में लगेंगे। कोई भी मानव सेवा तभी कर सकेगा, जब वह खुद सस्टेन कर पाए। इसके लिए हमने अपने सभी मार्केटिंग ऑफिसर्स के कहा है कि वे स्टोर्स की सेल बढाने में सहयोग करें। वे चिकित्सकों के पास जाएं। उन्हें जन औषधि के फायदे के बारे में बताएं। उन्हें यह सुनिश्चित करें कि जन औषधि की दवाइयां गुणवत्तायुक्त एवं सस्ती हैं। इतना ही नहीं वे जनता के बीच में भी जाएं। आम लोगों  को भी जन औषधि की उपलब्धता एवं इसके फायदे के बारे में बताएं। साथ ही स्टोर की कोई भी समस्या हो तो उसे समझें और उसका त्वरित निपटान करने की कोशिश करें एवं बीपीपीआई और इसकी जानकारी बीपीपीआई मैनेजमेंट को भी दें। हम अपनी आपूर्ति को बढ़ाने में सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं। दूसरा फोकस है कि हमें तकनीक का भरपुर इस्तेमाल करना है। देखिए अगर एक-दो करोड़ की कोई कंपनी है तो उसका बही-खाता आप मैन्यूवल कर सकते हैं लेकिन वही कंपनी जब  20 करोड़ की या 200 करोड़ की होगी तो आपको तकनीक का सहारा लेना ही पड़ेगा। वर्तमान समय में हमारा सिस्टम एसएपी आधारित है। सप्लाई एवं ऑर्डर की ऑनलाइन ट्रैकिंग होती है। हमारा वेयर हाउस 50 हजार वर्ग फूट में बना है और यह टेम्परेचर कंट्रोल वेयर हाउस है। डब्लूएचओ के मानकों के आधार पर बनाया गया है। यहां पर दवाइयों का संरक्षण एवं भंडारण विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार होता है। यह एक बड़ी उपलब्धि हमारी रही है। तीसरी बात यह है कि हम जनता के लिए एक ऐप लेकर आ रहे हैं, जिससे आप अपने नजदीकी स्टोर एवं उसमें उपलब्ध दवाइयों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इस तरह के हम बहुत से स्टेप ले रहे हैं और हमें उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि अगले दो महीनों में बीपीपीआई  दवा सप्लाई की समस्या का समाधान करने में सफल रहेगी।

अब तो नए स्टोर को लेकर भी बहुत आवेदन आ रहे होंगे। इस संदर्भ में आगे की योजना क्या है?
जहां तक नए स्टोर के विस्तार का प्रश्न है तो हम देश के प्रत्येक प्रखंड में अपनी उपस्थिति कायम करना चाहते हैं। इसके लिए आवेदन भी मंगाए जा रहे हैं। देश में 9310 प्रखंड हैं। देश के 717 जिलों में से 612 जिलों में हमारी उपस्थिति है।  वर्तमान में हमारे पास 3857 स्टोर हैं। इस तरह देश के सभी प्रखंडों तक पहुंचना, बाकी बचे जिलों में अपनी पहुंच स्थापित करना हमारी प्राथमिकता है ताकि अंतिम जन तक इसका फायदा हो सके।
जितनी बड़ी परियोजना यह बन चुकी है, ऐसे में बिना जनता के सहयोग एवं समर्थन के इसे सफल नहीं बनाया जा सकता है। ऐसे में जनता कैसे सहयोग करे उसकी भागीदारी कैसे सुनिश्ति हो ?
हमारे मंत्री जी का यह विजन है कि इसे एक योजना की तौर पर नहीं बल्कि एक मिशन/ एक आंदोलन के रूप में चलाया जाए ताकि  आम जनता की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस जन-भागीदारी के दो-तीन पहलू हैं। पहला यह कि जनता को प्रचार-माध्यमों से यह बताना कि यह योजना किस तरह से उनके लिए लाभदायक है। दूसरा ऐसे  सक्रिय गैर-सरकारी संगठनों को जोड़ना जो आम लोगों के बीच जेनरिक दवाइयों को लेकर फैले भ्रम को दूर कर सकें, उन्हें यह बता सके कि जेनरिक दवाइयां उच्च गुणवत्ता की होती हैं। हमारे यहां यह आम धारणा है कि जो सस्ता है उसकी क्वालिटी ठीक नहीं, इस भ्रम को भी दूर सके। सच्चाई तो यह है कि पीएमबीजेपी अपनी क्वालिटी को लेकर जितना संजीदा है, उतना शायद ही कोई और होगा। हम अपनी क्वालिटी को दो बार चेक करते हैं। सारे लैब एनएलबीएल सर्टीफाएड हैं। ऐसे में हमारा प्रयत्न है कि हम जनता को भी सक्रिय रुप से जोड़ें, इसमें मीडिया का भी सहयोग अपेक्षित है और हमें पूर्ण रुप से विश्वास है कि मीडिया का सहयोग मिलेगा।
 
 

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