अजय वर्मा
नयी दिल्ली। गौर करें तो गुजरे साल में स्वस्थ भारत के लक्ष्य को पाने के लिए लगातार काम होते रहे हैं। इसी के बूते भारत ने मलेरिया और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में भी उपलब्धि हासिल की है। WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है। कैंसर के खिलाफ लड़ाई के मोर्चे पर मेडिकल जर्नल लैंसेट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आयुष्मान भारत योजना से 90 प्रतिशत कैंसर रोगी समय पर अपना इलाज शुरू कर पाए हैं।
टीबी उन्मूलन के लिए अभियान
टीबी उन्मूलन प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने हरियाणा के पंचकूला में 100 दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान का शुभारंभ किया। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य 347 सबसे अधिक प्रभावित जिलों में टीबी रोगियों का शीघ्र पता लगाना और उनका उपचार करना होगा। इसकी जांच के लिए 2014 में जहां 120 प्रयोगशालाएं थी पर आज यह बढ़कर 8,293 हो गयी है। दैनिक पौष्टिक आहार योजना भी शुरू की गई। इन प्रयासों से टीबी के उपचार की सफलता दर 87 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी
लक्षित स्वास्थ्य सेवा रणनीतियों और प्रभावी हस्तक्षेपों से मातृ- शिशु मृत्यु दर में कमी नोट की गई है। मातृ मृत्यु दर 2017-2019 में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 103 से घटकर 2018-20 में 97 हो गई। शिशु मृत्यु दर 2018 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 32 से घटकर 2020 में 28 हो गई और कुल प्रजनन दर 2015-16 में 2.2 से घटकर 2019-21 में 2.0 हो गई। यह प्रगति उपभोक्ता-केंद्रित नीतियों और दक्षता और प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी द्वारा समर्थित पहलों का प्रमाण है।
भारत का मेडटेक बाजार भी बढ़ा
भारतीय चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लगभग 14 बिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है और 2030 तक 30 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की संभावना है। हाल यह है कि जापान, चीन और दक्षिण कोरिया के बाद भारत एशिया में चौथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है और शीर्ष 20 वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजारों में शामिल है। भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग उभरता क्षेत्र है। बढ़ती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं, तकनीकी नवाचारों, सरकारी सहायता और उभरते बाजार अवसरों से इसकी अपार विकास क्षमता बनी है।
(जारी)