स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY समाचार / News स्वास्थ्य की बात गांधी के साथ / Talking about health with Gandhi

आओ शुरू करें, स्वास्थ्य की बात गांधी के साथ

51 दिनों में 51 कहानियों के माध्यम से समझेंगे महात्मा गांधी के स्वस्थ भारत की परिकल्पना को, उनके चिंतन को, उनके विचारों को साथ ही मिलेंगे ऐसे लोगों से जो गांधी के स्वास्थ्य चिंतन की धारा को आगे बढ़ा रहे हैं।

आशुतोष कुमार सिंह
महात्मा गांधी का नाम सुनते ही मन में एक दुबले-पतले लाठीधारी, चश्मा पहने व्यक्ति की तस्वीर उभर कर सामने आती है। एक अहिंसावादी,सत्यवादी, निष्ठावादी व्यक्ति का स्वरूप सामने आता है। एक ऐसा व्यक्ति रेखांकित होने लगता है जिसने भारत को गढ़ने-रचने का काम किया।
दूसरी तरफ सच यह भी है कि गांधी को स्वास्थ्य चिंतक के रुप में हम और आप कम ही जानते हैं। गांधी को समझना है तो उनके स्वास्थ्य चिंतन के पक्ष को समझना जरूरी है। स्वस्थ भारत यात्रा के दौरान हमने महात्मा गांधी को स्वास्थ्य चिंतक के रुप में समझने का प्रयास किया था। 21000 किमी के इस यात्रा के दौरान महात्मा गांधी को जानने-समझने का मौका हमारी टीम को मिला था। ऐसे में यह बात निकलकर सामने आई थी कि गांधी को एक स्वास्थ्य चिंतक के रूप में उतनी पहचान नहीं मिल पाई जितनी मिलनी चाहिए थी। जबकि उनके चिंतन का यह एक मुख्य तत्व था। इसी कड़ी में गांधी के स्वास्थ्य चिंतन पर 21 जून 2017 को बिहार के सुदूर क्षेत्र बटहा, समस्तीपुर में एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। वहां से गांधी को स्वास्थ्य चिंतक के रूप में समझने की औपचारिक शुरूवात हुई थी। उसी कड़ी को हम आगे बढ़ाते हुए गांधी के स्वास्थ्य चिंतन को 51 कहानियों की वेब सीरीज के माध्यम से समझने का प्रयास करने जा रहे हैं।
दरअसल, महात्मा गांधी ने जितने भी प्रयोग किए उसका मकसद ही यह था कि एक स्वस्थ समाज की स्थापना हो सके। गांधी का हर विचार, हर प्रयोग कहीं न कहीं स्वास्थ्य से आकर जुड़ता ही है। यहीं कारण है कि स्वस्थ भारत डॉट इन 15 अगस्त,2018 से उनके स्वास्थ्य चिंतन पर चिंतन करना शुरू किया है। 15 अगस्त 2018 से 2 अक्टूबर 2018 के बीच में हम 51 स्टोरी अपने पाठकों के लिए लेकर आ रहे हैं। #51Stories51Days हैश टैग के साथ हम गांधी के स्वास्थ्य चिंतन को समझने का प्रयास करने जा रहे हैं। इस प्रयास में आप पाठकों का साथ बहुत जरूरी है। अगर आपके पास महात्मा गांधी के स्वास्थ्य चिंतन से जुड़ी कोई जानकारी है तो हमसे जरूर साझा करें। यदि आप कम कम 300 शब्दों में अपनी बात भेज सकें तो और अच्छी बात होगी। अपनी बात आप हमें forhealthyindia@gmail.com  पर प्रेषित कर सकते हैं।
#स्वास्थ्य_की_बात_गांधी_के_साथ
#SwasthyaKeeBatGandhiKeSath
#51Stories51Days

Related posts

बिलासपुर नसबंदी मामलाःएक दर्द … कुछ सवाल

Ashutosh Kumar Singh

स्वस्थ भारत यात्रियों का आंध्रप्रदेश में प्रवेश

Ashutosh Kumar Singh

सेवाग्राम में स्वस्थ भारत यात्रा-2 का हुआ पहला चरण पूरा

Ashutosh Kumar Singh

1 comment

स्वास्थ्य की बात गांधी के साथः 1942 में महात्मा गांधी ने लिखी थी की ‘आरोग्य की कुंजी’ पुस्तक की प्रस October 2, 2019 at 9:30 am

[…] ‘स्वास्थ्य की बात गांधी के साथ’ सीरीज के तीसरे आलेख के रूप में हम ‘आरोग्य की कुंजी’ पुस्तक की प्रस्तावना दे रहे हैं। इसमें महात्मा गांधी ने आरोग्य विषय पर लिखे अपने लेखों के ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि की चर्चा की है। इस सीरीज का यह तीसरा लेख है। इसे महात्मा गांधी ने आगा खां महल, यरवडा, पुणे में 27.08.42 को लिखा था। अगर आपके पास महात्मा गांधी के स्वास्थ्य चिंतन से जुड़ी कोई जानकारी है तो हमसे जरूर साझा करें। यदि आप कम से कम 300 शब्दों में अपनी बात भेज सकें तो और अच्छी बात होगी। अपनी बात आप हमें forhealthyindia@gmail.com  पर प्रेषित कर सकते हैं। – संपादक       एम.के.गांधी ‘आरोग्यके विषय में सामान्य ज्ञान’ शीर्षक से ‘इण्डियन ओपीनियन’ के पाठकों के लिए मैंने कुछ प्रकरण 1906 के आस-पास दक्षिण अफ्रिका में लिखे थे। बाद में वे पुस्तक के रूप में प्रकट हुए। हिन्दुस्तान में यह पुस्तक मुश्किल से ही कहीं मिल सकती थी। जब मैं हिन्दुस्तान वापस आया उस वक्त इस पुस्तक की बहुत माँग हुई। यहाँ तक कि स्वामी अखंडानन्दजी ने उसकी नई आवृत्ति निकालने की इज़ाजत माँगी और दूसरे लोगों ने भी उसे छपवाया। इस पुस्तक का अनुवाद हिन्दुस्तानी की अनेक भाषाओं में हुआ और अंग्रेजी अनुवाद भी हुआ। यह अनुवाद पश्चिम में पहुँचा और उसका अनुवाद युरोप की भाषाओं में हुआ। परिणाम यह आया कि पश्चिम में या पूर्व में मेरी और और कोई पुस्तक इतनी लोकप्रिय नहीं हुई, जितनी कि यह पुस्तक हुई। उसका कारण मैं आज तक समझ नहीं सका। मैंने तो ये प्रकरण सहज ही लिख डाले थे। मेरी निगाह में उनकी कोई खास क़दर नहीं थी। इतना अनुमान मैं ज़रूर करता हूँ कि मैंने मनुष्य के आरोग्य को कुछ नये ही स्वरूप में देखा है और इसलिए उसकी रक्षा के साधन भी सामान्य वैद्यों और डॉक्टरों की अपेक्षा कुछ अलग ढंग से बताये हैं। उस पुस्तक की लोकप्रियता यह कारण हो सकता है। इसे भी पढ़ें…स्वास्थ्य की बात गांधी के साथः महात्मा गांधी के स्वास्थ्य चिंतन ने बचाई लाखों बच्चों की जान मेरा यह अनुमान ठीक हो या नहीं, मगर उस पुस्तक की नई आवृत्ति निकालने की माँग बहुत से मित्र ने की है। मूल पुस्तक में मैंने जिन विचारों को रखा है उनमें कोई परिवर्तन हुआ है या नहीं, यह जानने की उत्सुकता बहुत से मित्रों ने बताई है। आज तक इस इच्छा की पूर्ति करने का मुझे कभी व़क्त ही नहीं मिला। परन्तु आज ऐसा अवसर आ गया है। उसका फ़ायदा उठा कर मैं यह पुस्तक नये सिरे से लिख रहा हूँ। मूल पुस्तक तो मेरे पास नहीं है। इतने वर्षो के अनुभव का असर मेरे विचारों पर पड़े बिना नहीं रह सकता। मगर जिन्होंने मूल पुस्तक पढ़ी होगी, वे देखेंगे कि मेरे आज के और 1906 के विचारों में कोई मौलिक परिवर्तन नहीं हुआ है। इसे भी पढ़ेंः स्वच्छता अभियान : गांधी ही क्यों? इस पुस्तकको नया नाम दिया है। ‘आरोग्य कुंजी’। मैं यह उम्मीद दिला सकता हूँ कि इस पुस्तक को विचार पूर्वक पढ़ने वालों और इसमें दिये हुए नियमों पर अमल करने वालों को आरोग्यकी कुंजी मिल जायगी और उन्हें डॉक्टरों पर अमल करने वालों को आरोग्यकी कुंजी मिल जायगी और उन्हें डॉक्टरों और वैद्यों का दरव़ाजा नहीं खटखटाना पड़ेगा।       […]

Reply

Leave a Comment