स्वस्थ भारत मीडिया
स्वास्थ्य संसद-2023 समाचार / News

स्वास्थ्य पत्रकारिता में रोजगार की अपार संभावनाएं : प्रो. के.जी. सुरेश

स्वास्थ्य संसद 2023 : अमृत तत्व-2
राष्ट्रकी सुरक्षा की दृष्टि से स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण विषय : एस.के.राउत 
मीडिया में स्वास्थ्य एवं विज्ञान डेस्क की है जरूरत : डॉ. मनोज पटैरिया
स्वस्थ भारत के आठवें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पहले स्वास्थ्य संसद में मीडिया में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं विज्ञान की रिपोर्टिंग कम होने पर जताई गई चिंता।

(भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस में स्वस्थ भारत (न्यास) के 8 वें वर्षगांठ पर तीन दिवसीय ‘स्वास्थ्य संसद 2023’ का आयोजन हुआ। तीन दिनों तक चले मैराथन अमृत-मंथन में ‘अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका’ विषय पर अमृत-चिंतन हुआ। इस चिंतन से निकले अमृत तत्व की दूसरी किस्त में आज आप पढ़िए माखनलाल राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश, मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी एस. के. राउत एवं सी-20 समाजशाला के आउटरिच समन्वयक मनोज पटेरिया के विचारों को।)

महिमा सिंह/अजय वर्मा

नयी दिल्ली/भोपाल। स्वास्थ्य संसद के उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. (डॉ.) के. जी. सुरेश ने कहा कि, ‘कोराना काल के बाद लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ी है। इस जागरुकता में मीडिया की अहम भूमिका रही है। लेकिन अभी भी हेल्थ सेक्टर मीडिया के लिए उपेक्षित ही है। हेल्थ और शिक्षा के क्षेत्र में पत्रकारिता की अपार संभावनाएं है। इन दोनों क्षेत्रों में विशेषज्ञों की बहुत कमी है। इन दोनों क्षेत्रों में पत्रकारिता के छात्रों के लिए रोजगार की अपार संभावनाएं है।’
गणेश शंकर विद्यार्थी सभागार में आयोजित स्वास्थ्य संसद में उन्होंने कहा कि महामारी ने बता दिया कि हेल्थ के प्रति जागरूकता कितना जरूरी है। उस दौरान अस्पतालों में धनउगाही की क्रूर हरकतों ने मेडिकल टेररिज्म शब्द को लोकप्रिय बना दिया। ऐसे में मीडिया का फर्ज बनता है कि वे इसके प्रति खुद सचेत हों और समाज में जागरूकता फैलायें।

 

स्वास्थ्य संसद के उपसभापति एवं मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी एस. के. राउत कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण अंग है। 90 के दशक की एक कहानी साझा करते हुए उन्होंने कहा कि, ‘एक पिता ने ड्रग एडिक्ट बेटे से परेशान होकर कहा था कि मैं उसका एंनकाउंट कर दूं। ऐसे बहुत से प्रसंग है। ऐसे में आम लोगों को जागरूक करने में मीडिया की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को मशरूम की तरह उगे धनबटोरू अस्पतालों का काला चिट्ठा भी उजागर करना चाहिए।‘
सी-20 समाजशाला के आउटरिच संयोजक एवं प्रसिद्ध विज्ञान संचारक डॉ. मनोज पटेरिया ने कहा कि, ‘विज्ञान और हेल्थ जैसे मसलों पर मीडिया का ध्यान नहीं के बराबर है। मैंने आउटरिच प्रोग्राम के तहत भ्रमण के दौरान इसे शिद्दत से जाना है। अंग्रेजी के कुछ दैनिक अखबारों ने विज्ञान और हेल्थ डेस्क शुरु किए हैं जबकि यह आज के समय की जरूरत है। बड़े मीडिया ग्रुप समेत स्थानीय अखबारों को भी विज्ञान और स्वास्थ्य विषयक डेस्क बनाने चाहिए। उन्होंने फिलीपींस की एक संस्था के रिसर्च के हवाले से बताया कि, ‘खेती में कीटनाशक का प्रयोग फसल बर्बाद करता है जबकि पारंपरिक खेती पैदावार बढ़ाती है। ऐसे में अगर मीडिया विज्ञान, शोध और खेती-किसानी पर रिपोर्ट ही नहीं करेगा तो जनता को कैसे पता चलेगा कि बाजार में उपलब्ध कीटनाशक कीट को भगाता नहीं बल्कि उसे रेसिस्टेंट शक्ति देता है। यहां मीडिया की जिम्मेदारी बनती है कि वो जागरूक रिपोर्टिंग कर लोगों को आगाह करे। उन्होंने बीटी ब्रिजल की चर्चा कर बताया कि, ‘मीडिया में हो-हल्ला मचने पर जनता जागी तो इसे बंद किया गया। किसी भी घटना का पोलिटिकल, वैज्ञानिक और सामाजिक एंगल होता है। मीडिया में अन्य पक्ष तो कवर हो जाता है पर विज्ञान का सही पक्ष सामने नहीं आता क्योंकि वहां विज्ञान शिक्षित पत्रकार नहीं है। उन्हें विज्ञान को सही ढंग से पेश करना नहीं आता है। यही हाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी है। इसलिए हम लोगों ने विज्ञान संचार एक नया विषय बनाया। जब विज्ञान की बात की जाती है तो उसमें हेल्थ, कृषि, पर्यावरण, तकनीकी इंडस्ट्री भी है। ऐसा नहीं है कि मीडिया में साइंस डेस्क नहीं है पर जितनी जरूरत है, उतनी नहीं। अशुद्ध जल पीकर लाखों लोग बीमारी के शिकार होते हैं लेकिन अशुद्ध पानी पर कभी खुल कर जानकारी मीडिया में नहीं छपती।

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