अजय वर्मा
नयी दिल्ली । केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया भारत को ग्लोबल मेडिकल हब बनाने का आह्वान करते हुए वनस्टेप पोर्टल बनाने की घोषण की ताकि हील इन इंडिया (Heal in India) और हील बाय इंडिया (Heal by India) पहल को बढ़ावा मिले। इसके लिए पारंपरिक चिकित्सा उद्योग को और मजबूत बनाना होगा।
चिकित्सा क्षेत्र में ब्रांड इंडिया बनाने की तैयारी
वे यहां विज्ञान भवन एवं निर्माण भवन में आयोजित अलग-अलग गोलमेज कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने ब्रांड इंडिया (Brand India) के निर्माण पर वरिष्ठ आईएफएस अधिकारियों और शीर्ष कॉर्पोरेट अस्पतालों के साथ स्वास्थ्य फलक पर विस्तार से बात की। उन्होंने मेडिकल टूरिज्म पर भी सलाह दी क्योंकि चिकित्सा के लिए विदेष से आनेवालों की संख्या बढ़ रही है। Heal in India और Heal by India जैसी पहल इसी के परिप्रेक्ष्य में है। मालूम हो कि हाल ही में चिकित्सा पर्यटन संघ द्वारा चिकित्सा पर्यटन सूचकांक 2020-21 जारी किया गया है। इसके अनुसार, भारत वर्तमान में शीर्ष 46 देशों में 10वें स्थान पर, विश्व के शीर्ष 20 वेलनेस पर्यटन बाजारों में 12वें और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 10 वेलनेस पर्यटन बाजारों में 5वें स्थान पर है। भारत में इलाज की लागत अमेरिका में इलाज की लागत से 65 से 90 फीसद कम है। भारत में 39 जेसीआई और 657 NABH मान्यता प्राप्त अस्पताल हैं, जो वैश्विक गुणवत्ता मानकों और बेंचमार्क के बराबर या उससे बेहतर हैं।
दूतावासों में बने सुविधा केंद्र
डॉ. मंडाविया ने कहा कि भारत अपने सर्वोत्कृष्ट स्वास्थ्य परितंत्र और विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं के साथ पूरी दुनिया के लिए एक आकर्षण बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत को ग्लोबल मेडिकल वैल्यू हब बनाने के लिए भारतीय दूतावासों में सुविधा केंद्र स्थापित करने, इलाज करा रहे विदेषियों से फीडबैक-प्रशंसापत्र प्राप्त करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने की बात भी की ताकि हमें चिकित्सा पर्यटन को ‘ब्रांड इंडिया‘ बनाने में मदद मिले।
आयुष का केंद्रबिंदु बना भारत
चिकित्सा क्षेत्र में अन्य देशों के साथ समझौते करने की आवश्यकता पर बल देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कुशल नर्स उपलब्ध कराने के लिए जापान के साथ हमारा समझौता है। कुशल चिकित्सा कर्मियों के लिए अन्य देशों के साथ भी इस तरह के समझौते किए गए हैं। पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘भारत ने खुद को आयुष के केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित कर लिया है। आयुष चिह्न (logo) लॉन्च करने की तैयारी है ताकि भारत में आयुष उत्पादों को प्रामाणिकता हासिल होगी और पारंपरिक चिकित्सा उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। आयुर्वेद उपचार के लिए दूसरे देशों से भारत आने वालों के लिए एक विशेष वीजा श्रेणी बनाई गई है। आयुर्वेद उपचार कराने के लिए 165 देशों के साथ मेडिकल वीजा और मेडिकल अटेंडेंट वीजा का प्रावधान किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, “संक्रमण चरण के दौरान, विभिन्न बाधाएं आ सकती हैं जिन्हें यात्रा के दौरान हल किया जाएगा। इसे प्राप्त करने के लिए नियमित फीडबैक सर्वोपरि है।‘‘