नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। एम्स भोपाल में हुए शोध से पता लगा है कि मृत व्यक्ति के शरीर से निकाले गए शुक्राणु साढ़े 19 घंटे तक जीवित रह सकते हैं। इससे कोई महिला मां भी बन सकती है। वहां के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ व उनकी टीम ने पोस्टमार्टम शुक्राणु पुनर्प्राप्ति पर अध्ययन किया है। इसमें 125 मृत व्यक्तियों का पोस्टमार्टम कर शुक्राणु निकाले गये और उन्हें संरक्षित किया गया। इसमें 47.22 प्रतिशत लोगों के शुक्राणु जीवित मिले।
AIIMS भोपाल में होगा गरीबों का मुफ्त इलाज
एम्स भोपाल में अब उन गरीब मरीजों को भी मुफ्त चिकित्सा मिलेगी जिनके पास आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य बीमा या अन्य लाभार्थी योजनाओं का लाभ नहीं है। प्रबंधन ने गरीब और जरूरतमंद मरीजों के लिए 2 करोड़ की राशि रोगी कल्याण समिति बनाकर सुरक्षित रख दी है। इसका उपयोग इन मरीजों के इलाज के लिए किया जाएगा।
केंद्र के प्रस्ताव पर फार्मा उद्योग की आपत्ति
भारतीय फार्मा कंपनियों ने सरकार के इस प्रस्ताव का विरोध किया है कि वह जनऔषधि केंद्रों को कैंसर रोधी, एंटीबायोटिक्स आदि दवाओं के विकल्प देने की अनुमति न दी जाये। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) दवाओं और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और इसके संबंधित नियमों में बदलाव करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है ताकि अनुसूची H, H1 और X के तहत निर्दिष्ट दवाओं के विकल्प को बढ़ावा देने की दृष्टि से अनुमति दी जा सके। जनऔषधि केंद्रों से किफायती और गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं मिलती हैं।