स्वस्थ भारत मीडिया
फ्रंट लाइन लेख / Front Line Article

2027 तक भारत में कुष्ठ रोग उन्मूलन का लक्ष्य

विश्व कुष्ठ दिवस पर खास
अजय वर्मा

नयी दिल्ली। भारत ने 2027 तक देश को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। लेकिन कुष्ठ रोगियों परसमाज की हीन नजर और जागरुकता की कमी उन्मूलन की गति पर रोक लगा देती है। कुष्ठ रोग के बारे में लोगों को जागरूक और शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 30 जनवरी को विश्व कुष्ठ रोग दिवस मनाया जाता है।

नई व्यवस्था कर रही सरकार

स्वास्थ्य मंत्रालय कुष्ठ रोग के लिए नई उपचार व्यवस्था लागू कर रही है। मंत्रालय ने पॉसी बैसिलरी (PB) मामलों के लिए छह महीने के लिए दो दवा के स्थान पर तीन दवा की व्यवस्था शुरू करने जा रही है। स्वास्थ्य सेवा के उप महानिदेशक डॉ. सुदर्शन मंडल ने कहा कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP) उप राष्ट्रीय स्तर पर कुष्ठ रोग के संचरण को रोकने के लिए सभी जरुरी कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि WHO एक अप्रैल 2025 से संशोधित दवा की आपूर्ति करने के लिए सहमत हो गया है। इसलिए सभी राज्य कुष्ठ रोग रोधी दवाओं की अपनी मांग जल्द भेजें। इसके अलवा कुष्ठ रोग का संशोधित वर्गीकरण और उपचार आहार अप्रैल, 2025 से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया जाएगा।

दुनिया भर में चिंता का कारण

कुष्ठ रोग वैसे तो स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बड़ी चिंता का कारण रहा है लेकिन एक-दो दशक में इस रोग में कमी दर्ज की गई है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में कुष्ठ रोग के सबसे ज्यादा मामले अफ्रीकी और एशियाई देशों में देखे जा रहे हैं। हालिया रिपोर्ट्स में भारत में कुष्ठ रोग के मामले बढ़ने को लेकर अलर्ट किया गया है। महाराष्ट्र में 18 साल से कम उम्र के बच्चों में कुष्ठ रोग के मामलों की बढ़ती संख्या ने स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता बढ़ा दी है। पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच रिपोर्ट किए गए कुष्ठ रोग के 17,048 नए मामलों में से 1,160 मामले (यानी 7 फीसद) बच्चों में देखे गए हैं। बच्चों में कुष्ठ रोग का बढ़ना एक संवेदनशील संकेतक है। अमेरिका के कई राज्यों में भी नए मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है।

बच्चों में इस रोग के मामले कम हुए

हालांकि 2010-11 में बच्चों में कुष्ठ रोग के मामलों की संख्या 12 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में कुल मामलों के 5-6 प्रतिशत होने के बावजूद WHO का मानना है कि कुष्ठ रोग कई भारतीय राज्यों में एंडेमिक बना हुआ है। एक्सपर्ट मानते हैं कि कुष्ठ रोग भी अन्य संक्रामक रोगों की ही तरह है। कई स्थानों पर इसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। ये माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होने वाला संक्रामक रोग है जिसमें त्वचा पर घाव के साथ तंत्रिकाओं से संबंधित समस्या, ऊपरी श्वसन पथ और आंखों की दिक्कतें हो सकती हैं।

Related posts

1 लाख से ज्यादा लोगों से किया प्रत्यक्ष संवाद

केरल में जन-जन को दिया स्वास्थ्य का संदेश

Ashutosh Kumar Singh

आयुष के लिए परिवर्तनकारी साबित हुआ 2023

admin

Leave a Comment