2025 में जारी पद्म सम्मान की सूची में 9 डॉक्टरों के अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो डॉक्टर न होते हुए भी मरीजों को डॉक्टर से बढ़कर सेवा ही नहीं दे रहे बल्कि जीवन भी समर्पित कर रहे हैं। ऐसे व्यक्तित्व से अपने पाठकों को परिचित कराने के लिए उनके कार्यों को क्रमवार दे रहे हैं। इससे पहले आपने गुजरात में कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाले सुरेश सोनी जी के बारे में जाना। अगली कड़ी में जानिए बिहार के किशोर कुणाल को…
अजय वर्मा
नयी दिल्ली। आईपीएस की सेवा से धर्म और समाजसेवा तक बेमिसाल काम करने के साथ—साथ गरीबों को कम कीमत पर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के लिए अस्पतालों की श्रृंखला खोलने वाले स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल को भी केंद्र सरकार ने पद्म श्री देने की घोषणा की है। हालांकि बिहार सरकार ने इससे आला दर्जे का पद्म सम्मान देने की सिफारिश की थी।
आईपीएस अधिकारी रहने के दौरान उन्होंने अपराधियों और उनके संरक्षकों के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने धुरंधर अपराधियों पर सख्त काररवाई की। बॉबी हत्याकांड जैसे केस सुलझाए जिसमें कई राजनेता भी भागीदार बताये जा रहे थे।
नौकरी छोड़ने के बाद वे एक परोपकारी धर्माचार्य बनकर जी रहे थे। वे स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार उपलब्धियां दर्ज कर रहे थे। महंगी चिकित्सा व्यवस्था से गरीबों को पीड़ित देख उन्होंने कई अस्पतालों का निर्माण कर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी। बिहार में उनके नेतृत्व में महावीर कैंसर संस्थान समेत 23 अस्पताल स्थापित हुए और कुछ निर्माण की प्रक्रिया में हैं।
हेल्थ क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए स्वस्थ भारत न्यास ने 2024 में अयोध्या में आयोजित स्वास्थ्य संसद में महावीर कैंसर अस्पताल को सुशीला नायर उत्कृष्टता अवार्ड दिया था।
सरकारी नौकरी से विदा लेने के बाद वे धार्मिक कार्यों की ओर सक्रिय हुए। उनका मानना था कि धर्म से ही परोपकार का रास्ता खुलता है। एक नवंबर 1987 से पटना जंक्शन के सटे महावीर मंदिर का ट्रस्ट बनाकर उन्होंने इसकी शुरुआत की। उनके जुड़ने से महावीर मंदिर की आय सालाना 11 हजार रुपये से बढ़कर 212 करोड़ रुपये तक पहुंच गयी। तब मंदिर की आय से ही उन्होंने परोपकार के क्षेत्र में कदम रखा और अस्पतालों की श्रृंखला खोलनी शुरू की।
उन्होंने पटना के विभिन्न हिस्सों में महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर कैंसर संस्थान, महावीर नेत्रालय सहित नौ चैरिटेबल अस्पतालों की स्थापना की। पिछले साल 12 दिसंबर को उनके प्रयासों से देश के पहले बाल कैंसर अस्पताल, महावीर बाल कैंसर अस्पताल का शिलान्यास किया गया। महावीर नेत्रालय में बच्चों का इलाज और ऑपरेशन मुफ्त किया जाता है। वे बुजुर्गों के लिए भी अस्पताल खोलने की तैयारी में थे।
उन्होंने पटना में 12 दिसंबर 1998 को कैंसर के इलाज के लिए महावीर कैंसर अस्पताल की स्थापना की। इसके पहले बिहार के मरीजों के पास कैंसर के इलाज के लिए सीधे दिल्ली-मुंबई जाने का ही विकल्प था। इस अस्पताल के खुलने के बाद रियायती दर पर मरीजों को कैंसर के इलाज की सुविधा मिलने लगी। आज हर साल चार लाख से अधिक कैंसर मरीज इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। इसमें बिहार के अलावा आसपास के राज्यों, नेपाल और बांग्लादेश के मरीज भी शामिल हैं। इसके साथ ही हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, जनकपुर, मोतिहारी आदि शहरों में मंदिर ट्रस्ट की ओर से कई अस्पताल खोले गए हैं। हर अस्पताल में कम दाम पर बिकने वाली दवा की दुकानें खोली गई हैं। आगे वे पटना एम्स के पास जमीन लेकर कैंसर रोगियों के इलाज और रहने-खाने के लिए अलग से सौ बेड का अस्पताल खोलने की तैयारी कर रहे थे। 2019 से पटनावासियों के लिए पार्थिव शरीर वाहन की निःशुल्क सुविधा चालू की गई।
लेखक के बतौर उन्होंने हिंदी में अपनी जीवनी दमन तक्षकों का, दलित देवो भव और अंग्रेजी में अयोध्या रीविजीटेड लिखा।अयोध्या विवाद पर उनके द्वारा एकत्रित सामग्री ने सुप्रीम कोर्ट की राह आसान की।