स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

दरभंगा एम्स के निर्माण में फंसा जमीन का पेंच

अजय वर्मा

पटना। दरभंगा में एम्स निर्माण को लेकर बिहार सरकार की केंद्र से ठन गयी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा कर दी है कि अब दरभंगा में बिहार का दूसरा एम्स नहीं बनेगा। इसके लिए बिहार सरकार ने जो जमीन उपलब्ध करायी थी, उसे स्थल जांच के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने अनफिट करार देते हुए दूसरी जगह जमीन देने की बात कही थी। इसी पर सीएम बिफड़ पड़े।

आवंटित भूमि भवन निर्माण लायक नहीं

मालूम हो कि एम्स बनाने के लिए राज्य सरकार ने हाल में दरभंगा में जो जमीन उपलब्ध करायी थी, उसे केंद्र की टीम ने अनुपयुक्त करार दिया था। राज्य सरकार ने दरभंगा के शोभन बायपास पर एम्स के लिए 151 एकड़ जमीन देने का फैसला लिया था और मिट्टी भराई के लिए 309 करोड़ आवंटित किया था। 27 अप्रैल को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने स्थल जांच कर अपनी रिपोर्ट में कहा कि जमीन काफी नीचे है और जलजमाव का इलाका भी है। भवन निर्माण के लिए यहां मिट्टी की गुणवत्ता भी अच्छी निकली। यहां की जमीन में फैलने और सिकुड़ने की काफी संभावना है। ऐसे में यहां बने भवन की सुरक्षा पर खतरा होगा। तकनीकी रूप से कहें तो वह जमीन कॉटन ब्लैक लैंड है।

दूसरी जमीन मांगी थी केंद्र ने

टीम के मुताबिक उस पर एम्स बनाने में पैसे और समय, दोनों की बर्बादी होगी। यह करीब 23 फीट गहरी है जिसकी भराई मुश्किल है। इससे प्रोजेक्ट का कॉस्ट बहुत बढ़ जाएगा और समय भी ज्यादा लगेगा। टीम की रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बिहार के स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखकर एम्स के लिए दूसरी जमीन देने की मांग की थी।

2020 में ही केंद्र ने दी थी मंजूरी

ज्ञात हो कि पहले केंद्र ने दरभंगा स्थित DMCH कैंपस में एम्स निर्माण की तैयारी की थी लेकिन सरकार ने इसे खारिज कर दूसरी जमीन आवंटित की। 2020 में ही केंद्रीय कैबिनेट ने 750 बेड वाले इस एम्स के निर्माण की मंजूरी देते हुए 1264 करोड़ का आवंटन भी किया था। डायरेक्टर के एक पद के सृजन को भी मंजूरी मिली थी। इसे चार साल में बना देने का लक्ष्य रखा गया था। इसमें MBBS की 100 सीटें और बीएससी नर्सिंग की 60 सीटें निर्धारित की गई। इसमें 15 से 20 सुपर स्पेशियलिटी डिपार्टमेंट भी होगा। इसका निर्माण प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत होना था। वित्त मंत्री ने 2015-16 के बजट भाषण में इसकी घोषणा भी की थी। इसके बनने से प्रत्यक्ष रूप से करीब 3000 लोगों को रोजगार मिलता। सबसे बड़ी बात, दरभंगा एम्स बनने से नेपाल के अलावा बेतिया से लेकर कोसी और सीमांचल के सहरसा, सुपौल और पूर्णियां तक के लोगों को फायदा होता। उत्तर बिहार के लोगों की पटना एम्स पर निर्भरता भी कम होती।

 

Related posts

स्वास्थ्य की बात गांधी के साथः 1942 में महात्मा गांधी ने लिखी थी की ‘आरोग्य की कुंजी’ पुस्तक की प्रस्तावना

Ashutosh Kumar Singh

भारत के पास पोर्टेबल अस्पताल भी

admin

स्किन कैंसर के लिए साबुन बना दिया एक बच्चे ने

admin

Leave a Comment