नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आयुर्वेदिक उपकरण निर्माण की दिशा में बना नाड़ी तरंगिणी नामक पल्स डायग्नोस्टिक आयुष क्षेत्र में भारत का पहला उपकरण है। इसे पुणे की आत्रेय इनोवेशन्स कंपनी ने बनाया है। इसे CDSCO से मंजूरी मिल चुकी है।
उपकरण की सटीकता 85 फीसद
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह डिवाइस पद्म भूषण पुरस्कार विजेता प्रोफेसर जे.बी. जोशी और डॉ. अनिरुद्ध जोशी की प्रेरणा से तैयार हो सका है। इसके बनने में छह साल की मेहनत लगी है। CDSCO से मंजूरी पाने के लिए 25 हजार से अधिक व्यक्तियों की जांच की गई। इससे नाड़ी की जांच करने पर 22 आयुर्वेदिक मानकों वाली 10 पेज की रिपोर्ट 10 भारतीय भाषाओं में मिल सकती है। इसकी एक्यूरेसी लगभग 85 फीसद है। इसकी कीमत 55 हजार रुपये है।
पीएम भी कर चुके हैं तारीफ
इस उपकरण की सेंसिंग तकनीक और प्रक्रिया को अमेरिकी पेटेंट मिल चुका। इसे अमेरिकी पेटेंट के अलावा यूरोप, इंडोनेशिया और भारत के लिए भी पेटेंट प्राप्त हैं। नाड़ी तरंगिणी का इस्तेमाल देशभर के 1250 से अधिक आयुर्वेदिक क्लीनिकों में किया जा रहा है। अब तक पांच लाख से अधिक व्यक्तियों का इस उपकरण से परीक्षण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम में इसका उल्लेख करते हुए प्रशंसा की थी।
उपचार को मिलेगी नयी दिशा
रिपोर्ट के अनुसार यह न केवल आयुर्वेदिक उपचार को नई दिशा देगा बल्कि इसके उपयोग से आयुर्वेदिक प्रथाओं के मानकीकरण की शुरुआत भी होगी ताकि इसे लोगों के लाभ के लिए दुनिया भर में ले जाया जा सके। यह उपकरण चिकित्सकों को 22 आयुर्वेदिक मानकों का विश्लेषण करने में मदद करता है। इनमें त्रिदोष संतुलन (वात, पित्त, कफ), तनाव का स्तर और पाचन स्वास्थ्य शामिल है।