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नरम और मीठी चपाती बनाने वाली गेहूं की नई किस्म विकसित

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। शोधकर्ताओं ने गेहूं की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिससे नरम और मीठी चपाती बनती है। गेहूं की इस किस्म को ’PBW-1 चपाती’ कहा जाता है जिसे पंजाब में राज्य स्तर पर सिंचित दशाओं में समय से बुवाई के लिए जारी किया गया है। इससे बनी चपाती का रंग समान रूप से सफेद होता है और सेंकने के घंटों बाद भी नरम रहता है।

प्रोटीन और कैलोरी का स्रोत चपाती

गेहूं से बनी चपटी व पकी हुई खाद्य-वस्तु चपाती प्रोटीन और कैलोरी का एक सस्ता व प्राथमिक स्रोत है और उत्तरी पश्चिमी भारत में लोगों का मुख्य भोजन है। चपाती के लिए वांछित गुणवत्ता व विशेषताओं में अधिक कोमलता, हवा से फुलने की क्षमता, नरम बनावट और हल्का मलाईदार भूरा रंग, थोड़ा चबाने पर पके हुए गेहूं की सुगंध शामिल हैं। दैनिक आहार का हिस्सा होने के बावजूद आधुनिक गेहूं की किस्मों में चपाती की गुणवत्ता के लक्षण नहीं होते हैं। लंबी पारंपरिक गेहूं की किस्म सी 306 चपाती की गुणवत्ता के लिए स्वर्णिम मानक रही है। बाद में पीएयू द्वारा PBW 175 किस्म विकसित की गई और इसमें अच्छी चपाती गुणवत्ता थी। हालांकि ये दोनों धारीदार और भूरे रंग की रतुआ के लिए अतिसंवेदनशील हो गए हैं। अब चुनौती उच्च उपज क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को संयोजित करने और वास्तविक चपाती गुणवत्ता को बनाए रखने की है।

पंजाब में हुआ विकसित

इस चुनौती को स्वीकार करते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की गेहूं प्रजनन टीम ने PBW 175 की पृष्ठिभूमि में लिंक्ड स्ट्राइप रस्ट और लीफ रस्ट जीन LR-57-YR-40 के लिए मार्कर असिस्टेड सेलेक्शन का उपयोग करके एक नई किस्म विकसित की है। उन्होंने इस किस्म को विकसित करने के दौरान विविध जैव रासायनिक परीक्षणों का उपयोग करके अलग करने वाली सामग्री का परीक्षण करके चपाती बनाने के मापदंडों को बरकरार रखा है। अंतिम उत्पाद विशेष और बायो फोर्टिफाइड गेहूं के जर्मप्लाज्म का विकास पहले प्रजनन परिधि के तहत था और इसे स्वस्थ भारत थीम के तहत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग पर्स अनुदान से बड़ा प्रोत्साहन मिला। इससे गुणवत्ता प्रजनन पर ध्यान देने के साथ एक व्यवहार्य व्यावसायिक उत्पाद विकसित करने के लिए विविध लक्षणों के लिए विभिन्न जीन पूलों को समेकित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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