स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

राम ही नहीं, रामदेव को भी चौदह साल बनवास रहना पड़ा

संघर्षशील मजदूर नेता रामदेव सिंह की याद में श्रद्धांजलि सभा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। “जब किसी तरह के जुल्म के खिलाफ, शोषण के खिलाफ, अत्याचार के खिलाफ सीना तान कर एक टोली खड़ी हो जाती थी तो उस टोली में चाँद की तरह चमकता था एक चेहरा बाबू रामदेव सिंह का था। उनकी तरह अक्खड़, संकल्पशक्ति और इच्छाशक्ति वाले लोग दुर्लभ हैं। भारत में सोने की लंका का कोई महत्व नहीं है, यहाँ महत्व है चौदह साल वनवास रह कर लोक कल्याण करने वाले राम का। यहाँ महत्व है चौदह साल वनवास रहकर हिंडाल्को मैनेजमेंट के अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद कर और लड़कर मजदूरों का कल्याण करने वाले रामदेव का। बाबू रामदेव की सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम किसी तरह के जुल्म को सहने से इनकार कर दें। सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब हम शोषण के खिलाफ, दोहन के खिलाफ, अत्याचार के खिलाफ सीना तान कर खड़े हो जाएँ। वे कभी झुके नहीं, कभी रुके नहीं, अभाव और यातनाएँ उनके कदम को रोक नहीं पाईं। किसी तरह का प्रलोभन रामदेव को डिगा नहीं पाया। शोषण और जुल्म के खिलाफ सीना तान कर वह आजन्म लड़ते रहे। मैं उस अपराजेय योद्धा बाबू रामदेव सिंह के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।”

संघर्ष गाथा का पुण्यस्मरण

उक्त बातें हिंडाल्को के मजदूर नेता रामदेव सिंह की श्रद्धांजलि सभा में देश के जानेमाने साहित्यकार व पत्रकार अजय शेखर ने कही जो स्वयं बाबू रामदेव सिंह के संघर्ष के साथी रहे। रेनूकूट के पास तुर्रा पिपरी में आयोजित इस श्रद्धांजलि सभा को अनेक नेताओं, साहित्यकारों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों, अधिकारियों और बाबू रामदेव के संघर्ष के साथियों ने संबोधित किया। वरिष्ठ भाजपा नेता और रामदेव जी के सहयोगी रहे श्रीनारायण पाण्डेय ने बहुत भावुक होकर 1962 में उनसे संपर्क और फिर उनके संघर्षों को याद किया। कहा कि “रामदेव जी वहाँ मजदूरों की हालत को देखकर मैनेजमेंट पर हमेशा करारा प्रहार किया करते थे जिसके कारण उन्हें कई-कई बार टर्मिनेशन का सामना करना पड़ा था। उन्होंने एक ट्रेड यूनियन ‘राष्ट्रीय श्रमिक संघ’ की स्थापना की, जो आज भी सक्रिय है। उन्होंने रेनूकूट के सड़क के वीरान स्थलों पर झोपड़ियाँ बनवाईं, दुकाने खुलवाईं और व्यापार मण्डल के अध्यक्ष बने। इसके लिये उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। रामदेव जी की संघर्ष गाथा के दौरान कहा कि उन्होंने बिड़ला मैनेजमेंट के खिलाफ संघर्ष किया और वह विजयी हुए। 14 साल बेरोजगार रहने के बाद 1977 में राजनारायण जी ने रामदेव जी को पुनः हिंडाल्को जॉइन कराया। नौकरी करते हुए भी हिंडाल्को प्रबंधन को रगड़ते रहते थे रामदेव बाबू। रामदेव बाबू किसी की भी गलत बात को सहते-सुनते नहीं थे।” रामदेव सिंह के सहयोगी और उत्तरप्रदेश ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट लल्लन राय ने वीडियो संदेश द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि, “रामदेव सिंह जी मजदूरों के तो सर्वमान्य नेता थे ही, दुकानदारों और जनता के जननेता थे।”

उनकी याद में पार्क बनेगा और अवार्ड भी

इस अवसर पर दो महत्वपूर्ण घोषणाएँ हुईं। पिपरी नगर पंचायत के चेयरमैन दिग्विजय सिंह ने शहर में बनने वाले पार्क का नाम रामदेव सिंह पार्क रखने की घोषणा की। रामदेव बाबू के पुत्र कवि मनोज भावुक ने घोषणा की कि हर साल बाबूजी की पुण्यतिथि 14 अप्रैल को मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाले एक शख्सियत को रामदेव सिंह सम्मान से नवाजा जाएगा।

जीवनी पर वृत्तचित्र का प्रदर्शन

इस अवसर पर रामदेव बाबू के जीवन संघर्ष पर बने एक वृतचित्र को भी दिखाया गया। श्रद्धांजलि सभा में वनवासी सेवा आश्रम की संचालिका डॉ. शुभा प्रेम ने कहा कि तुर्रा पिपरी के वनवासी सेवा आश्रम के भी अभिन्न अंग रहे रामदेव बाबू। सभा में अपना उद्गार व्यक्त करने वालों में मनमोहन मिश्रा, डीएफओ रेनूकूट, मुन्ना सिंह, अध्यक्ष, जागो भारत फाउंडेशन, राकेश पाण्डेय, भाजपा युवा नेता, पुराने साथी माहेश्वर द्विवेदी, आर डी राय, शिक्षक योगेंद्र सिंह, युवा नेता बीरबल सिंह, शहर के पत्रकार जलालूद्दीन, मानी मदान, एसपी पांडे, अधिवक्ता नंदलाल, संजय संत और कनौड़िया केमिकल्स के वीरेंद्र सिंह प्रमुख रहे। गजलकार धनंजय सिंह राकिम और भोजपुरी गीतकार राजनाथ सिंह राकेश ने काव्य पाठ किया तो भजन मंडली ने रामदेव बाबू की याद में अनेक भजन सुनाये। सभा का संचालन मनोज त्रिपाठी ने किया।

Related posts

One day workshop organized on drug trafficking

admin

डायबिटीज, इन्फेक्शन जैसी बीमारियों की 41 दवाओं के घटेंगे दाम

admin

Bimstec प्रौद्योगिकी हस्तांतरण केंद्र से जुड़े करार को मंजूरी

admin

Leave a Comment