दवा प्रतिरोधी टीबी के लिए प्रभावी उपचार पद्धति को मंजूरी
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEV) के तहत बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) के लिए एक अत्यधिक प्रभावी और कम समय के उपचार विकल्प के रूप में बीपीएएलएम पद्धति शुरू करने को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य बीमारी को 2025 यानी वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले, देश को टीबी से मुक्त करना है।
नया सिस्टम सुरक्षित और किफायती
इस उपचार पद्धति में एक नई टीबी रोधी दवा प्रीटोमैनिड शामिल है, जिसे बेडाक्विलाइन और लाइनजोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन सहित/बिना) के साथ मिलाया गया है। प्रीटोमैनिड को पहले ही उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा अनुमोदित किए जाने के साथ ही लाइसेंस भी दिया जा चुका है। इस पद्धति में चार दवाओं-बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन का संयोजन है। पारंपरिक MDR-टीबी उपचार गंभीर दुष्प्रभावों के साथ 20 महीने तक चलते हैं। यह पद्धति दवा प्रतिरोधी टीबी को केवल छह महीने में ठीक कर सकती है और उपचार की सफलता दर भी उच्च है।
पर्याप्त अनुसंधान के बाद स्वीकृति
भारत के 75,000 दवा प्रतिरोधी टीबी रोगी अब इस छोटी अवधि की उपचार पद्धति का लाभ उठा सकेंगे। अन्य लाभों के साथ, लागत में कुल मिलाकर बचत होगी। मंत्रालय ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के परामर्श से टीबी के इस नए उपचार का सत्यापन सुनिश्चित किया, जिसमें देश के विषय विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्यों की गहन समीक्षा की गई। इस कदम से टीबी को समाप्त करने के राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में देश की प्रगति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।