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पर्यावरण संरक्षण के लिए जन आंदोलन चले: श्री नायडु

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने आज जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने के लिए सक्षमकारी नीतियों के साथ-साथ लोगों से सामूहिक कार्रवाई करने की अपील की। उन्होंने कहा कि 1.5 डिग्री तक की सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग की सीमा प्राप्त करने में सक्षम होने के लिए हमें वृहद स्तरीय प्रणालीगत बदलावों के साथ-साथ सूक्ष्म स्तरीय जीवनशैली विकल्पों दोनों का लक्ष्य रखना चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की आवश्यकता है।

जलवायु कार्रवाई में भारत अग्रणी

श्री नायडु ने बढ़ती उग्र घटनाओं और घटती जैवविविधता की वास्तविकता को कम करने के लिए गंभीर आत्मनिरीक्षण और निर्भीक कदमों की अपील करते हुए कहा कि यह न केवल सरकार का कर्तव्य है कि वह इस पर विचार-विमर्श करे, बल्कि यह पृथ्वी पर प्रत्येक नागरिक और मनुष्य का कर्तव्य है कि इस ग्रह को बचाएं। उपराष्ट्रपति मोहाली के चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में पर्यावरण विविधता और पर्यावरण न्यायशास्त्र पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। श्री नायडु ने जोर देकर कहा कि भारत हमेशा जलवायु कार्रवाई में विश्व में अग्रणी रहा है। उन्होंने हाल ही में ग्लासगो में शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्यों को पूरा करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

भारतीय संस्कृति में प्रकृति को सम्मान

यह उल्लेख करते हुए कि कैसे भारतीय संस्कृति ने हमेशा प्रकृति का सम्मान किया है और उसकी पूजा की है, श्री नायडु ने कहा कि भारत ने संविधान में पर्यावरण संरक्षण के सिद्धांतों को प्रतिष्ठापित किया है और ‘विकसित दुनिया में पर्यावरण चर्चा को गति मिलने से पहले ही कई संबंधित कानूनों को पारित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भावना हमारे प्राचीन मूल्यों से बहुत अधिक जुड़ी है जो मानव अस्तित्व को प्राकृतिक पर्यावरण के हिस्से के रूप में देखते हैं, न कि इसका दोहन करने वाले के रूप में।‘‘ वर्षों से पर्यावरणीय न्याय को बनाए रखने के लिए भारतीय उच्च न्यायपालिका की सराहना करते हुए उन्होंने सुझाव दिया कि निचली न्यायालयों को भी पारिस्थितिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए और स्थानीय आबादी और जैव विविधता के सर्वोत्तम हितों को अपने निर्णयों में शामिल करना चाहिए।

प्रदूषकों पर सख्त एक्शन हो

उन्होंने प्रदूषण कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और प्रदूषक को भुगतान करना चाहिए, सिद्धांत को सख्ती से लागू करने की अपील की। इसके अतिरिक्त, उपराष्ट्रपति ने कानूनों के ईमानदार कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया, और सुझाव दिया कि ‘‘केवल कानून पारित करना पर्याप्त नहीं है, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई समान रूप से महत्वपूर्ण है।‘‘ उन्होंने पर्यावरण कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और स्थानीय नागरिक निकायों को संसाधनों, तकनीकी विशेषज्ञता और दंडात्मक शक्तियों के साथ सशक्त बनाने का सुझाव दिया।

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