पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। नेत्रदान को महादान माना गया है। अंगदान और नेत्रदान के प्रति समाज में आयी जागरूकता का असर भी अब दिखने लगा है। यही कारण है कि बिहार में मरणोपरांत नेत्रदान के नेक काम में तेजी आ सकी है। 4 अगस्त को ही दो व्यक्ति के निधन पर उनके परिजनों ने नेत्रदान कराया।
इनमें एक हैं 86 वर्षीय सुकर्मा गुप्ता (धर्मपत्नी स्वर्गीय तिलक राज गुप्ता)। उनके निधन के बाद समाजसेवी पारस जैन के प्रयास से पुत्र अजय गुप्ता, विजय गुप्ता, संजय गुप्ता और राजीव गुप्ता तथा पुत्री श्रीमती सरिता सुनील मेहता ने नेत्रदान का साहसिक निर्णय लिया। इसके बाद NMCH आई बैंक की तरफ से डॉ. सचिन के नेतृत्व में डॉ. ज्योति, डॉ. प्रियंका शर्मा, डॉ. संजीत, डॉ. खालिद और डॉ. प्रियंका और हेल्थ मैनेजर अंजनी जी ने इस नेक कार्य को अंजाम दिया। इस काम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए रणदीप झुनझुनवाला की सक्रियता काबिलेतारीफ रही।
दूसरे केस में स्थानीय भूतनाथ रोड निवासी 49 वर्षीय घनश्याम अग्रवाल का निधन हो गया। उनके नेत्रदान से दो लोगों को पहली बार दुनिया को देखने का मौका मिलेगा। उनके भाई दीपक अग्रवाल सहित पूरे परिवार की स्वीकृति से PMCH की तरफ से आई बैंक इंचार्ज डॉ. प्रियंका, डॉ. रामविनय, डॉ. राकेश, श्रवण कुमार और ब्रजेश के सहयोग से नेत्रदान का कार्य पूरा किया गया। कन्हैया अग्रवाल ने इस नेक कार्य मे सहभागिता निभाई। स्थानीय मां ब्लड सेंटर के सक्रिय कार्यकर्ता मुकेष हिसारिया ने दोनों के परिजनों की सराहना करते हुए लोगों से दधिची देह दान समिति की मुहिम का हिस्सा बनने की अपील की है।