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सुदूर अरुणाचल प्रदेश में मिला दुर्लभ गवैया पक्षी

नयी दिल्ली। भारतीय बर्डवॉचर्स ने अरुणाचल प्रदेश के सुदूर क्षेत्र में गाने वाले एक पक्षी का पता लगाया है। यह गवैया पक्षी रेन बैबलर (Wren Babbler) की संभावित रूप से एक नई प्रजाति है। पक्षियों को खोजने वाले अभियान में शामिल अध्ययनकर्ताओं ने गाने वाले इस पक्षी का नाम लिसु रेन बैबलर रखा है। इस अभियान दल में बेंगलुरु, चेन्नई और तिरुवनंतपुरम के बर्डवॉचर्स और अरुणाचल के दो गाइड शामिल थे। अभियान के सदस्य धूसर रंग के पेट वाले दुर्लभ और चालाक रेन बैबलर की तलाश में उत्तर-पूर्वी अरुणाचल की मुगाफी चोटी की यात्रा पर निकले थे। जब वे वापस आये तो गाने वाले पक्षियों की सूची में एक नये नाम और  नया दस्तावेज साथ लेकर लौटे।

Indian Birds पत्रिका में रिपोर्ट प्रकाशित

यह अध्ययन दक्षिण एशियाई पक्षीविज्ञान की शोध पत्रिका इंडियन बर्ड्स में प्रकाशित किया गया है। धूसर पेट वाला रेन बैबलर मुख्य रूप से म्यांमार में पाया जाता है। इस प्रजाति के कुछ पक्षी पड़ोसी देश चीन और थाईलैंड में भी मिलते हैं। भारत से धूसरपेट वालेरेन बैबलर की केवल एक रिपोर्ट रही है जब 1988 में इन्हीं पहाड़ों से गाने वाले इस पक्षी के दो नमूने एकत्र किए गए थे। एक नमूना अब अमेरिका के स्मिथसोनियन संग्रहालय में है। पक्षी विज्ञानी पामेला रासमुसेन ने 2005 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में इस प्रजाति को शामिल किया और इसकी पहचान धूसर पेट वाले रेन बैबलर के रूप में की गई। अध्ययनकर्ताओं का दल अरुणाचल के मियाओ से लगभग 82 किलोमीटर दूर लिसु समुदाय के दूरस्थ गाँव विजयनगर पहुँचा था। वहां से दो दिन की पैदल चढ़ाई करके वे हिमालय के उस स्थान पर पहुँचे जहाँ के बारे में माना जा रहा था कि वह रेन बैबलर का घर है। वे यह देखकर चकित रह गए कि प्रथम दृष्टया धूसर पेट वाले रेन बैबलर जैसे दिखने वाले पक्षी के गाने का स्वर रेन बैबलर के स्वर से भिन्न था। एक सदस्य प्रवीण जे. कहते हैं कि हमने जितने भी पक्षियों को पाया, उनका गीत बेहद मधुर था, जो लम्बी दुम वाले नागा रेन बैबलर के गीतों के समान था। लेकिन इन पक्षियों का स्वर धूसर पेट वाले रेन बैबलर के गीतों से बिल्कुल अलग था।

मशक्कत के बाद मिला पक्षी और उसकी आवाज

लगातार बारिश के बावजूद शोधकर्ता इन पक्षियों की कुछ तस्वीरें लेने और उनके स्वर की रिकॉर्डिंग करने में सफल रहे। वापस लौटकर उन्होंने विभिन्न संग्रहालयों और अन्य साइटों से ली गई तस्वीरों की सहायता से रेन बैबलर की त्वचा का विश्लेषण किया। उन्होंने धूसर पेट वाले रेन बैबलर की मौजूदा रिकॉर्डिंग के साथ उनकी आवाज़ का मिलान करने की कोशिश भी की। उन्हें स्मिथसोनियन संग्रहालय से एकल नमूने की तस्वीरें भी मिलीं। टीम के एक अन्य सदस्य दीपू करुथेदाथु कहते हैं कि इसके नाम से ही संकेत मिलता है कि इस पक्षी के उदर का हिस्सा धूसर (Grey) रंग का है। हालांकि हमें जो तस्वीरें मिली हैं, उनमें सफेद पेट वाले पक्षी दिखाई दिए। टीम का कहना है कि जब सभी सूचनाओं को समग्र रूप से देखा गया, तो इस नई प्रजाति का पता चला है।

इंडियन साइंस वायर से साभार

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