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रिकॉर्ड टूटा : मई में बिकी 100 करोड़ की जनऔषधि

मार्च 2024 तक जनऔषधि केंद्रों की संख्या 10,000 करने का लक्ष्य
5 साल में जनता का 15,000 करोड़ से अधिक रुपया बचा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। गरीबों के लिए सस्ती दर पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध केंद्र सरकार मार्च 2024 तक प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों की संख्या को 10000 तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। पिछले महीने तक ऐसी दुकानों की संख्या बढ़कर 8735 हो गई है। मई 2022 में तो रिकॉर्डतोड़ 100 करोड़ की जनऔषधि बिकी है।

दवा पर खर्च में कम आई

PMBI PMBJK  में आवश्यक दवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। वर्ष 2014-15 में 8 करोड़ रुपये की दवायें बिकी। उच्चतम मासिक बिक्री कारोबार मई, 2022 में हुआ और इस महीने 100 करोड़ की दवा बाजार से उठी और लाखों गरीबों ने लाभ उठाया। मई, 2021 में कुल बिक्री रु. 83.77 करोड़ थी जो कोरोना की दूसरी लहर का दौर था। आमजन इस समानांतर सस्ती दवा के कारण दवाओं पर अपने जेब खर्च को कम करने में सक्षम हुए। वर्तमान में ये जनऔषधि केंद्र 1600 से अधिक दवाएं और 250 सर्जिकल उपकरण उपलब्ध कराते हैं जिनमें न्यूट्रास्यूटिकल्स, आयुष उत्पाद और सुविधा सेनेटरी पैड शामिल हैं, जो एक रुपये प्रति पैड बेचे जाते हैं।

नये केंद्रों के लिए आवेदन आमंत्रित

पीएमबीजेपी के तहत देश के प्रत्येक नागरिक को जन औषधि केंद्रों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 406 जिलों के 3579 ब्लॉकों को कवर करने के लिए नए आवेदन भी आमंत्रित किए गए हैं। छोटे शहरों और ब्लॉक मुख्यालयों के निवासी अब जन औषधि केंद्र खोलने के अवसर का लाभ उठा सकते हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए बतौर प्रोत्साहन 5.00 लाख तक दिया जारहा है। इससे देश के कोने-कोने में लोगों तक सस्ती दवा की पहुंच आसान होगी।

 

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