नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। युवा आबादी में हार्ट अटैक के साथ स्ट्रोक के मामले भी बढ़ रहे है। 18 से 44 की आयु वालों में स्ट्रोक के मामले 15 फीसद तक बढ़े हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक 65 वर्ष से कम आयु के लोगों में स्ट्रोक का जोखिम पिछले एक दशक में बढ़ा है। स्ट्रोक से जान बच भी जाये तो लकवा, मस्तिष्क तंत्रिकाओं से संबंधित विकार का खतरा रहता है।
High B.P. वालों की संख्या भी बढ़ी
CDC की रिपोर्ट में कहा गया है कि 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों में स्ट्रोक के मामलों में 14.6 फीसद जबकि 45 से 64 श्रेणी के वयस्कों में यह दर 15.7 फीसद तक बढ़ गई है। तुलनात्मक रूप से देखें तो पता चलता है कि 2000 से 2018 के बीच 45 से 64 वर्ष की आयु के वयस्कों में उच्च रक्तचाप वाले लोगों की संख्या में 6 फीसद से अधिक की वृद्धि हुई है, जो स्ट्रोक के लिए प्रमुख जोखिम कारक है।
अलर्ट रहने की जरूरत
2011-2013 और 2020-2022 के स्वास्थ्य डेटा की तुलना करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि स्ट्रोक के मामलों में लगभग आठ फीसद की वृद्धि हुई है। इसलिए इसके जोखिम कारकों को लेकर अलर्ट रहने की जरूरत है। स्टैनफोर्ड मेडिकल सेंटर में विभाग निदेशक ग्रेगरी डब्ल्यू. अल्बर्स बताते हैं कि युवा आबादी में हाल के वर्षों में ऐसे जोखिम कारक बढ़ते देखे गए हैं जो सीधे तौर पर स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाने वाले माने जा रहे हैं।