नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोविड महामारी के दौरान लाॅकडाउन से पोषण की कमी हुई तो कम वजन वाले बच्चों में तेजी से वृद्धि हुई। न्यूयॉर्क स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के टाटा-कॉर्नेल इंस्टीट्यूट फॉर एग्रीकल्चर एंड न्यूट्रिशन (TCI) के एक नए अध्ययन में यह बात कही गई है। ऐसे बच्चों में वजन की भी कमी देखी गयी।
वनज कम होना कुपोषण का संकेत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में लॉकडाउन समाप्त होने के 18 महीने बाद शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि जून 2017 से जुलाई 2021 के बीच कम वजन वाले बच्चों का अनुपात 31 से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गया जिससे कुपोषित बच्चों की संख्या में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सर्वे में बिहार के मुंगेर और ओडिशा के कंधमाल और कालाहांडी जैसे तीन जिलों में लगभग 511 घरों और 622 बच्चों को शामिल किया गया था। वेट फॉर एज जेड (WAZ) स्कोर के अनुसार बच्चों के शरीर के वजन में 0.5 से 0.6 की गिरावट देखी गई। बच्चे का वजन औसत बच्चे से कम निकला जो कुपोषण का संकेत देता है।
बिहार में 48 फीसद बच्चों का वजन कम निकला
बिहार में औसत WAZ स्कोर -1.41 से -1.93 और ओडिशा में -1.30 से -1.81 तक गिर गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह दोनों राज्यों में कम वजन वाले बच्चों के अनुपात में उल्लेखनीय वृद्धि में परिलक्षित होता है। बिहार और ओडिशा में क्रमशः लगभग 48 और 43 प्रतिशत बच्चों का वजन कम मिला। महामारी ने छोटे बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन और पर्याप्त देखभाल प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
स्कूलों की बंदी का भी पड़ा असर
शोधकर्ताओं के अनुसार 2021 में एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS), पोषण योजना और मध्याह्न भोजन योजना सहित विभिन्न सरकारी प्रायोजित खाद्य योजनाएं बंद होने के कारण बच्चों का उम्र के हिसाब से वजन कम हो गया। महामारी के दौरान स्कूल बंद थे तो सरकारी स्कूलों में प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को, जिन्हें प्रतिदिन एक समय का भोजन उपलब्ध कराया जाता था, वह छिन गया।