नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना संक्रमण से भले ही मुक्ति मिल गयी हो लेकिन जिनको हुआ, उन्हें अब कई तरह की परेषानियां आ रही हैं। इसमें हाई ब्लड प्रेषर भी है। इससे हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ा है। वैश्विक स्तर पर लोगों में पोस्ट कोविड सिंड्रोम के कारण कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम देखा जा रहा है। शोध में पाया गया है कि कि वायरस का संक्रमण शरीर के कई अन्य अंगों को भी क्षति पहुंचा रहा है।
संक्रमितों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जर्नल हाइपरटेंशन में प्रकाशित शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि तेजी से वैश्विक रूप से हाइपरटेंशन की समस्या बढ़ती जा रही है। इस अध्ययन के लिए मार्च 2020 से अगस्त 2022 तक कोविड से पीड़ित 45,000 से अधिक लोगों के डेटा का विश्लेषण किया। किसी भी प्रतिभागी में पहले हाई ब्लड प्रेशर की हिस्ट्री नहीं थी। अस्पताल से लौटे लोगों का औसतन 6 महीने तक ध्यान रखा गया, इसमें देखा गया कि क्या संक्रमण से ठीक होने के बाद उन्हें दोबारा अस्पताल में जाने की जरूरत पड़ी?
स्वास्थ्य का जोखिम दोगुना तक बढ़ा
कोरोना के दुष्प्रभावों के मूल्यांकन में वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि जिन लोगों को कोरोना का संक्रमण था और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत पड़ी थी, ऐसे लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के विकसित होने का जोखिम दो गुना तक अधिक देखा गया। वहीं जिन लोगों को कोरोना का संक्रमण तो था लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी उनमें ये खतरा डेढ़ गुना अधिक देखी गई। कोरोना के संक्रमण के शिकार रहे लगभग सभी लोगों में इस रोग के विकसित होने का जोखिम हो सकता है।
40 पार के लोगों में कई खतरे
अध्ययनकर्ताओं ने बताया, सबसे अधिक जोखिम 40 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में मिल रहा है। इसके अलावा जिन्हें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), कोरोनरी आर्टरी डिजीज या क्रोनिक किडनी डिजीज की समस्या थी, उनमें भी जोखिम अधिक देखा गया है। हाई ब्लड प्रेशर की समस्या इन रोगों की जटिलताओं को भी बढ़ाने वाली हो सकती है। वायरस के अलावा महामारी के अन्य पहलुओं ने भी उच्च रक्तचाप के खतरे को बढ़ाया है। हाइपरटेंशन की स्थिति हृदय रोगों के खतरे का प्रमुख कारण मानी जाती रही है जिसके जानलेवा दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।