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समृद्धि और समग्र विकास का माध्यम बनेगा श्री अन्न : पीएम

वैश्विक मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का प्रधानमंत्री ने किया शुभारंभ

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। श्री अन्न केवल भोजन या खेती तक ही सीमित नहीं हैं। यह गांवों व गरीबों से जुड़ा हुआ है। यह छोटे किसानों के लिए समृद्धि का द्वार, करोड़ों देशवासियों के पोषण की आधारशिला व आदिवासी समुदाय का सम्मान है। श्री अन्न की फसल कम पानी में अधिक प्राप्त की जा सकती है, रसायनमुक्त खेती के लिए यह नींव है, वहीं जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार है।

डाकटिकट और सिक्के का किया अनावरण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के अंतर्गत आयोजित दो दिवसीय वैश्विक मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन का शुभारंभ कर रहे थे। इस उपलक्ष में उन्होंने डाक टिकट व सिक्के का अनावरण तथा श्री अन्न स्टार्टअप और श्री अन्न मानकों के संग्रह को डिजिटल रूप से लांच किया। साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से संबंधित भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान (IIMR) को उत्कृष्टता का केंद्र घोषित किया।

प्रति व्यक्ति खपत बढ़ी श्रीअन्न की

श्री अन्न को एक वैश्विक आंदोलन में बदलने के लिए सरकार के लगातार प्रयासों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 2018 में मिलेट्स को पोषक-अनाज घोषित किया गया था, जहां किसानों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करने से लेकर इसमें रूचि पैदा करने तक सभी स्तरों पर काम किया गया। मोटे तौर पर देश के 12-13 राज्यों में श्री अन्न की खेती की जाती है और प्रति व्यक्ति प्रति माह घरेलू खपत दो-तीन किलो थी, जो बढ़कर अब 14 किलो प्रति माह हो गई है। मिलेट्स खाद्य उत्पादों की बिक्री में भी लगभग 30 फीसद की वृद्धि देखी गई है, वहीं एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत 19 जिलों में मिलेट्स भी चुना गया है। उन्होंने कहा कि यह श्री अन्न के लिए भारत की प्रतिबद्धता का संकेत है।

दुनिया के लिए महत्वपूर्ण उत्पाद : तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह मिलेट्स (श्री अन्न) वर्ष के शुभारंभ का उत्सव है। आज विश्वभर के लोग इस कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री अन्न समूची दुनिया के लिए महत्वपूर्ण कृषि उत्पाद है। पोषक तत्वों से भरपूर श्री अन्न की खेती को सामान्य भूमि में की जा सकती है। इसमें खाद की आवश्यकता नहीं होती है। मिलेट्स का पौधा भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में योगदान करता है। साथ ही इसकी खेती पर्यावरण को भी संरक्षित करती है।

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