स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY

अस्पतालों में फ्री मिले सर्पदंश की दवा

अजय वर्मा

पटना। बरसात के मौसम में नर्म धूप सेंकने या भीषण गर्मी से बिलबिला कर सांप अक्सर बिलों के बाहर आ जाते हैं। धान की बुआई शुरू हो गई है और साँपों का बाहर निकलने का यह समय सबसे उपयुक्त समय है। पशु या मानव के आहट को महसूस करते ही वे काट भी लेते हैं। अगर सांप विषधर हुआ तो मौत तय है। विषहीन होने पर भी खतरा तो बना ही रहता है। ऐसे में इसकी दवा का इस सीजन में सभी अस्पतालों में होना बहुत जरूरी है जो महंगी आती हैं।

भारत में 300 प्रजातियों के सांप

मालूम हो कि भारत में 300 प्रजातियों के सांप मिलते हैं। इनमें कई भयंकर विषधारी होते हैं। इसमें कोबरा की चार, करैत के आठ और वाइपर के दो तो जानलेवा हैं। ग्लोबल हेल्थ रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सर्पदंश से सालाना करीब करीब 46 हजार मौतें होती हैं। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ हेल्थ इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार 2000 से 2009 तक हर साल डेढ़ हजार तक मौतें सर्पदंश से हुई हैं। केंद्र सरकार ने नेषनल स्नेक बाइट प्रोटोकॉल 2007 में जारी की थी जिसमें ऐसी घटना से बचाव और उपचार को लेकर कईे गाइडलाइन थी।

सरकार करे फ्री दवा की व्यवस्था

जहां तक सर्पदंश के उपचार की बात है, एंटी स्नेक वेनम (anti snake venom) ही भरोसेमंद सूई है जो काफी महंगी होती है। एक पैकेट एंटी स्नेक वेनम में 10 वायल होते हैं और इनका बाजार मूल्य 7000 हजार रुपये है। विषदंशित को कुल 30 वायल की जरूरत होती है यानी जान बचाने के लिए त्वरित इलाज पर 21 हजार का खर्च आयेगा। जिला स्तर पर अगर स्वास्थ्य विभाग इसे पर्याप्त मात्रा में फ्री उपलब्ध कराये तो पीड़ित मरीज की जान बच सकती है क्योंकि सर्पदंश के अधिकांश शिकार गरीब और किसान ही होते हैं।

Related posts

एनसी कॉलेज में यात्रियों ने विद्यार्थियों से किया स्वास्थ्य पर संवाद

Ashutosh Kumar Singh

Cost-effective and indigenous personal protective suit to combat COVID-19

Ashutosh Kumar Singh

मिट्टी और जलवायु पर पशुओं की एंटीबायोटिक दवाओं का असर घातक

admin

Leave a Comment