2025 में जारी पद्म सम्मान की सूची में 9 डॉक्टरों के अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो डॉक्टर न होते हुए भी मरीजों को डॉक्टर से बढ़कर सेवा ही नहीं दे रहे बल्कि अपना जीवन भी समर्पित कर रहे हैं। ऐसे व्यक्तित्व से अपने पाठकों को परिचित कराने के लिए उनके कार्यों को क्रमवार दे रहे हैं। पहली कड़ी में जानिए सुरेश सोनी युगल को…
अजय वर्मा
नयी दिल्ली। गुजरात के सहयोग कुष्ठ यज्ञ ट्रस्ट के संस्थापक सुरेश सोनी को हाल ही में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया है। उन्होंने पिछले 40 सालों से कुष्ठ रोगियों के लिए निःस्वार्थ सेवा की है। उन लोगों की मदद की है, जिन्हें समाज अक्सर भुला देता है। यह ट्रस्ट भारत का एकमात्र केंद्र है जहां एक हजार से ज्यादा कुष्ठ रोगियों को एक ही जगह देखभाल मिलती है। उनके बच्चों की सेवा भी कर रहे हैं।
1978 से चली करुणा की लहर
1978 में हिम्मतनगर के रायगढ़ गांव में 31 एकड़ जमीन पर बने इस ट्रस्ट में सिर्फ कुष्ठ रोगी ही नहीं, बल्कि विकलांग, मानसिक रूप से बीमार और HIV मरीजों को भी सहारा मिलता है। यहां गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और बंगाल से लोग आते हैं। सुरेश ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ इन बेसहारा लोगों के लिए घर बसाया। आज यह ट्रस्ट 436 विकलांग, 80 मानसिक रूप से बीमार और 26 HIV मरीजों समेत एक हजार से ज्यादा लोगों की मदद कर रहा है।
सेवा के सफर में पत्नी भी भागीदार
रिपोर्ट के अनुसार सुरेश सोनी सिर्फ कुष्ठ रोगियों की ही नहीं, बल्कि हर उस इंसान की मदद करते हैं जो जीवन में संघर्ष कर रहा है। चाहे वो किसी प्रतियोगी परीक्षा में फेल हुआ हो या समाज के दबाव से जूझ रहा हो। उनकी पत्नी इंदिराबेन भी इस सफर में उनके साथ हैं। शादी से पहले ही उन्होंने यह स्वीकार कर लिया था कि यह जीवन सादगी और सेवा का होगा। आज भी वे पूरे दिल से इस काम में जुड़ी हैं।
जनता के पैसे से चल रहा काम
सबसे खास बात यह है कि यह ट्रस्ट सिर्फ जनता के दान पर चलता है, सरकारी फंड नहीं लेता। यह लोगों के भरोसे और सहयोग की ताकत को दिखाता है। आज 80 साल की उम्र में भी सुरेश जी की ऊर्जा वैसी ही है। उन्होंने इस ट्रस्ट को उनके लिए एक सुरक्षित घर बना दिया है, जिन्हें समाज ने ठुकरा दिया था।