नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ग्लोबल वार्मिग कहिये या Climate change, पिछले हफ्ते अंटार्कटिक और आर्कटिक की घटनायें चौंका सकती हैं। दोनों ही जगह तापमान में अचानक ऐसा उछाल आया कि सारे रिकॉर्ड टूट गए। वैज्ञानिक समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक यह वृद्धि क्यों हुई?
तापमान में अचानक वृद्धि
बीती 19 मार्च को पूर्वी अंटार्कटिक में कुछ जगहों पर तापमान औसत से 40 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया। मौसम विज्ञानी इटिएने कापीकियां ने ट्वीट कर बताया कि समुद्र से 3,234 मीटर ऊंचाई पर स्थित कॉनकॉर्डिया मौसम स्टेशन पर-11.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ जो अब तक का सबसे ज्यादा है। इसी तरह अंटार्कटिक के वोस्तॉक स्टेशन पर तापमान 15 डिग्री से ज्यादा उछल गया जबकि मौसमी घटनाओं पर नजर रखने वाले मैक्सीमिलानो ने ट्वीट किया कि टेरा नोवा बेस पर तापमान सामान्य से 7 डिग्री ज्यादा था। यही हाल धरती के दूसरे सिरे पर भी था। आर्कटिक पर मार्च के औसत तापमान में 30 डिग्री से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नॉर्वे और ग्रीनलैंड में भी गर्मी के नए प्रतिमान स्थापति हो रहे हैं।
अचानक उछाल से सब चौकन्ना
यूं तो वैज्ञानिक कहते रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन का असर ऐसे अचानक उछाल के रूप में यदा-कदा दिखता रह सकता है लेकिन बीते हफ्ते अचानक ऐसा क्या हुआ कि धरती के दो सिरों पर एक ही वक्त तापमान एक साथ उछल गया? वैज्ञानिक इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिक इस बात को लेकर संदेह जता रहे हैं कि दो सुदूर जगहों पर हुए एक जैसे उछाल के पीछे कोई एक ही वजह है।
संयोग भी संभव
ऑस्ट्रेलिया के अंटार्कटिक कार्यक्रम में काम कर रहे वैज्ञानिक साइमन एलेग्जैंडर कहते हैं कि यह एक संयोग हो सकता है। ऑस्ट्रेलियाई समाचार प्रसारक एबीसी को दिए एक इंटरव्यू में एलेग्जैंडर ने कहा, संभव है कि यह एक संयोग हो लेकिन वैज्ञानिकों को ध्यान पूर्व अध्ययन करके इस बात की पुष्टि करनी होगी कि यह एक संयोग ही था। दक्षिणी गोलार्ध में पिछले हफ्ते एक मौसमी घटना हुई थी जिसने अंटार्कटिक के तापमान को एकाएक बढ़ा दिया हो। दक्षिणी सागर से उच्च दबाव का क्षेत्र अंटार्कटिक की ओर गया था। डॉ. एलेग्जैंडर कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण-पूर्व में दक्षिणी सागर पर अत्याधिक उच्च दबाव का विशाल क्षेत्र बन गया था। इसने बहुत ज्यादा नमी से भरी हवा को अंटार्कटिक की ओर धकेला, जहां यह इतनी गर्म थी कि तट पर बारिश बनकर बरसी। डॉ. एलेग्जैंडर कहते हैं कि इस कारण इतनी अधिक बारिश हुई थी कि संभव है अंटार्कटिक पर बारिश का रिकॉर्ड भी टूट गया हो। वैसे, अंटार्टकटिक पर तापमान का यूं अचानक कम-ज्यादा होना अनोखा नहीं है लेकिन हाल की यह घटना अपने आप में अनोखी है क्योंकि इतना बदलाव पहली बार देखा गया है।
जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार?
अंटार्कटिक पर मौसम में यह बदलाव इसलिए भी अनूठा है क्योंकि इस वक्त वहां दिन लगातार छोटे होते जा रहे हैं और सर्दी बहुत अधिक होनी चाहिए। ठीक उसी वक्त आर्कटिक सर्दी से बाहर निकल रहा है इसलिए कुछ वैज्ञानिकों ने कहा है कि एक साथ दोनों जगह एक जैसी घटना होना कल्पनीय भी नहीं है। नेशनल स्नो एंड आइस डेटा सेंटर में काम करने वाले वॉल्ट मायर ने अमेरिकी मीडिया से बातचीत में कहा, ये एकदम उलटे मौसम हैं आप उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव को एक साथ, एक समय पर पिघलते नहीं देखते। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इसके लिए जलवायु परिवर्तन ही जिम्मेदार है।