अजय वर्मा
नयी दिल्ली। महंगाई से भारतीय परिवार संकट में हैं। कोराना लहर के बाद से कई परिवारों की कमाई और बचत भी प्रभावित हुई है। हालत यह है कि लोग जरूरी खर्च के लिए अपनी बचत भी तोड़ रहे हैं। इसमें बड़ा रोल हेल्थ पर खर्चा भी है। दवा की कीमतों में कटौती और आयुष्मान कार्ड भी खास लाभ नहीं दे रहा है।
67% लोगों को तोड़ना पड़ा बचत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मनी 9 के सर्वे में बचत और खर्च को लेकर खुलासा हुआ है। सर्वे का टॉपिक था ‘भारत की जेब के खर्चे’। यह सर्वे प्रतिष्ठित ग्लोबल एजेंसी RTI इंटरनेशनल ने किया है। यह एजेंसी वर्ल्ड बैंक जैसे बड़े संस्थानों के लिए सर्वे करती है। सर्वे के मुताबिक पिछले पांच सालों में 67 फीसद परिवारों ने अपनी बचत तोड़ी है। कोरोना जैसी महामारी भी सामने आई। लॉकडाउन में नौकरी छूटी तो कमाई बंद हुई। रोग-व्याधि के चलते अस्पताल पर भारी खर्च करना पड़ा। सर्वे बताता है कि बचत तोड़ने वाले लोगों में इलाज का खर्च सबसे ज्यादा भारी पड़ा है। करीब 22.3 फीसद लोगों ने इलाज खर्च को पूरा करने के लिए बचत तोड़ी। 15.2 फीसद लोगों ने नौकरी छूटने या कमाई बंद होने के कारण अपनी बचतों को तोड़ा है।
बच्चों की पढ़ाई भी हुई महंगी
इसके बाद पढ़ाई के बढ़ते खर्च ने भी परेशान रखा। करीब 11 फीसद परिवारों को बच्चे की पढ़ाई के खर्च के लिए बचत तोड़नी पड़ी। घर में शादी-व्याह भी एक कारण बना। 8.2 फीसद परिवारों ने शादी का खर्च पूरा करने और इतने ही परिवारों ने कर्ज उतारने के लिए बचत तोड़े। सामाजिक सुरक्षा के अभाव में कोरोना संकट से कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के कारण 2.3 फीसद परिवारों को बचत तोड़ना पड़ा। सर्वे में 80 फीसद लोग नौकरी जाने के डर में जीने वाले मिले। नौकरी जाने का डर 24 फीसद लोगों में मिला है।