जैसा कहा, वैसा लिखा….जी हां, अयोध्या में संपन्न स्वास्थ्य संसद-24 में राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय सचिव गोलोक बिहारी राय ने ऐसा ही कहा था। लीजिए उनके वक्तव्य का संपादित रूप।
जब हम भारत की बात करते हैं तो उसकी भौगोलिक पहचान है। यह भारत सभी राजाओं का रहा है। जब हम भारत के जन स्वस्थ की बात करें तो उसका अपना चरित्र है। भारत के जन के लिए, स्वास्थ्य के लिए आहर-विहार कैसा हो। भारत के बुजुर्ग के लिए क्या स्वास्थ्य व्यवस्था है। बुजुर्ग का स्वास्थ्य बीमारी से नहीं जुड़ा है बल्कि दिनचर्या से है। मैं गंगा के किनारे रहा। वह कोई भी बीमार नहीं था। सुबह चार बने उठता, मंदिर जाता, खाया-पिया बच्चों के साथ रहा। शाम में घूमने के बाद खाकर सो गया। स्वास्थ्य की चिंता नहीं थी।
बुजुर्गों का स्वास्थ्य दया से जुड़ा नहीं है। यह जिम्मेदारी है हम सबकी। हर पुत्र को परिवार संभालना है इसलिए परिवार के संगठन में बुजुर्ग के स्वास्थ्य की समस्या का संधान जुड़ा हुआ है। प्रतिस्पर्धा के दौर में एकल परिवार जरूरी है लेकिन परिवार का जो मूल स्वरूप बनेगा उसमें दया भाव की जगह नहीं रहेगी। सभी एक दूसरे का ख्याल रखेंगे। परिवार के संघटन को ठीक रखने से बुजुर्ग का स्वास्थ्य ठीक हो सकता है। उसको बस अपने पुत्र के बच्चों का साथ मिले, सबका प्यार मिले तो उसे दवा या दुआ की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसका जीवन ईश्वर और अपने परिवार के आसपास आनंद में गुजर जाएगा। इसमें किसी पैथी की जरूरत नहीं बल्कि आपसी सहयोग और स्नेह की जरूरत है। सामाजिक बनावट में आए बदलाव को ठीक करने की जरूरत है। बच्चों को अपने माता पिता को समय देने की और माता पिता को अपने बच्चों से इस प्यार को पाने के लिए धैर्य और सहयोग की जरूरत है।