स्वस्थ भारत मीडिया
नीचे की कहानी / BOTTOM STORY

कवि-चित्रकार अमित कल्ला इंटरनेशनल पेंटिंग सिम्पोजियम जायेंगे

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पैग आर्टिस्ट ग्रुप, राजस्थान के सदस्य, अमूर्त कवि और चित्रकार अमित कल्ला को पूर्वी यूरोपीय देश लातविया में विश्व प्रसिद्ध मार्क रॉथकों आर्ट सेंटर द्वारा इस वर्ष होने वाले इंटरनेशनल पेंटिंग सिम्पोजियम व आर्ट रेसीडेंसी में भाग लेने हेतु प्रतिभागी के रूप में चयनित किया गया है। इस दौरान वे दोउगवापिल्स शहर के रॉथकों आर्ट सेंटर के स्टूडियो में रहकर अपनी बहुरंगी शैली में एक नई चित्र सीरीज़ तैयार करेंगें, जिनमें से कुछ को वहाँ सामूहिक प्रदर्शनी में दर्शाया जाएगा। इसके साथ ही अमित अपनी काव्य-चित्र यात्रा और भारतीय कला दृष्टि के विभिन्न दार्शनिक व सौंदर्यात्मक पहलुओं पर व्याख्यान भी देंगें।

कला यात्रा को साझा करेंगे सभी चित्रकार

राजस्थान पैग के कोषाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी रविकांत शर्मा माईकल ने बताया कि इस समायोजन में दुनिया के अलग-अलग देशों से चुनिंदा दस अमूर्तन चित्रकारों को आमंत्रित किया गया है, जो सिम्पोज़ियम में साथ रहकर अपनी-अपनी कला परंपरा, शैली, तकनीक और उसकी संधानात्मक प्रक्रिया को एक दूसरे से साझा करेंगें। सभी आमंत्रित कलाकार का मूल चिंतन चित्रकार मार्क रॉथकों और उनकी पेंटिंग्स से जुड़े ऐबसट्रेक्ट एक्सप्रेशन विषय के केंद्रित होगा। इसके अलावा उन्हे पोलैंड, लुथवानिया और एस्टोनिया जैसे छोटे देशों के कला संग्रहालय देखने का भी अवसर मिलेगा।

मिल चुके हैं कई पुरस्कार

इससे पहले अमित अमेरिका, साउथ कोरिया, इटली, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, सिंगापुर, टर्की, बांग्लादेश जैसे देशों में भी अपनी कला प्रदर्शित कर चुके हैं। संस्था के अध्यक्ष कलाविद आर बी गौतम ने अमित को इस महत्वपूर्ण समायोजन में चयनित होने हेतु बधाई देकर सम्मानित किया है। अमित कल्ला ने जेएनयू, दिल्ली से आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स विषय में एम. ए. किया है। वे एक स्वतंत्र चित्रकार के रूप में पिछले दो दशकों से सक्रिय हैं। अमित ने भारत के विभिन्न शहरों में पंद्रह एकल तथा सौ से ज्यादा सामूहिक चित्र प्रदर्शनियो में भागीदारी की है। बतौर कवि इनकी तीन पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। ‘होने न होने से परे’ पुस्तक को भारतीय ज्ञानपीठ के नवलेखन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, ‘शब्द-शब्द विसर्जन’ कविता संग्रह भी खासा चर्चा में रहा है और कुछ समय पूर्व ‘शब्द कहे से अधिक’ का विमोचन हुआ है। इन्हें सत्य शांति पुरस्कार, मरू परंपरा सम्मान, सृजन सम्मान, वाणी समागम, प्रकृति सम्मान, कला संवाहक, कला संगोष्ठी विश्वरंग पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चुका है।

यायावरी ने सजाया सृजन संसार

स्वभाव से यायावर अमित की अपने बचपन से ही योग और दर्शन विषय में विशेष में गहरी रुचि रही है। देश के अनेक साधु-संतों, सूफी फकीरों तथा हिमालय के योगियों संग उनके अनुभव अत्यंत मार्मिक हैं। उन्हें स्वामी विवेकानंद, गांधी, और जे कृष्णमूर्ति के विचार दर्शन के विभिन्न पहलू हमेशा प्रेरणा देते रहे हैं। “अमित कल्ला के लिए पेंटिंग एक सतत यात्रा का नाम है जो किसी विचार में गहरा उतार कर बाहरी लोक से भीतर की तरफ लेकर जाती है, जहाँ असल समय और सत्य को पा लेने का अभिन्न अनुनय होता है उनके लिए ये समूची दृश्यमयी प्रक्रिया सूक्ष्म से विराट और विराट से सूक्ष्म लोक को रंगों रुपाकरों के मार्फत संजीदगी से अनुभव करने का एक यथासंभव रचनात्मक विस्तार है जहाँ अमूर्त का निरूपण देखने में तो मूर्त लगता है लेकिन फ़ॉर्म को समझने के बाद उसके अर्थ बदल जाते हैं। तमाम चित्र दरअसल जीवनानुभव की बात करते हैं। यह भाव की अवस्था से जुड़ा मसौदा है जहाँ संवेदना के आधार पर कितना कुछ अभिन्न अर्थों के दृश्यों में उपस्थित होता है।’

Related posts

पीएम के संसदीय क्षेत्र में प्रवासी कामगारों के लिए मसीहा बनकर उभर रहे हैं लोग

Ashutosh Kumar Singh

जैव विविधता संरक्षण में मददगार होगा नया शोध

admin

Scientists working on anti-COVID-19 drugs using garlic essential oil

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment