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पशुओं के उचित उपचार की दिशा में आगे आया तमिलनाडु का यह ट्रस्ट, पशु-प्रेम की कायम की मिसाल

बेसहारा पशु, ग्रामीण पशुपालक, पशु प्रेमी और और किसान लाभान्वित होंगे: डॉक्टर ओ.पी. चौधरी, अध्यक्ष, भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड

20 जून, 2019 चेन्नई/ डॉक्टर आर.बी.चौधरी

देश में पशु चिकित्सक और पशु अस्पताल पालतू और बेसहारा जानवरों की उचित देखभाल और उनके रख-रखाव के लिए विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्ल्यूबीआई) पशु शरण स्थल आधारित पशु चिकित्सा केंद्रों को स्थापित करने के लिए पशु सेवा में लीन संस्थाओं को सहायता करने एवं प्रोत्साहन का कार्य कर रहा है। वर्ष 2019 के दौरान, बोर्ड पशु कल्याण संगठनों को दूर-दराज और ग्रामीण इलाको में पशु चिकित्सा केंद्रों को स्थापित करने के लिए प्रेरित करने में सफल रहा है। इस  कड़ी में हरियाणा राज्य के बाद, तमिलनाडु अब दूसरा राज्य है जहां बोर्ड  द्वारा मान्यता प्रदत्त एक पशु कल्याण संगठन ने पशु अस्पताल खुलवाया है, जिसमें बेसहारा, घायल ,अपाहिज, बूढे और असमर्थ जानवरों की चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जाएगी।

प्रेरणा के श्रोत बनेंगे ऐसे पशु अस्पताल

इस अस्पताल का शुभारंभ भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और सचिव द्वारा किया गया है। बोर्ड अध्यक्ष, डॉ. ओ.पी. चौधरी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पशु अस्पतालों की स्थापना से पशुओं के स्वास्थ्य का लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गतिविधियां को देख कर अन्य पशु कल्याण कार्यकर्ताओं और पशु कल्याण संगठनों को प्रेरणा मिलेगी ।

पशुओं पर हो रहे अत्याचार रुकेंगे

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव (एनएलएम और एडब्ल्यू),डॉ. ओ.पी. चौधरी जो वर्तमान में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि  “जीवकरुण्य पशु कल्याण धर्मार्थ ट्रस्ट – पशु अस्पताल और बचाव केंद्र” नाम की तमिलनाडु में पशु कल्याण संस्था बेसहारा एवं निराश्रित पशु-पक्षियों के लिए अच्छा कार्य कर रही है। इस अस्पताल से स्थानीय पशुओं की बेहतर सेवा हो सकेगी। साथ ही अस्पताल  के बेहतरीन सेवा से पशु कल्याण गतिविधियों में इजाफा होगा जो पशुओं पर होने वाले अत्याचार को रोकने में नितांत सहायक होगा। डॉक्टर चौधरी ने कहा कि उनको बहुत बड़ी उम्मीद है के तमिलनाडु के कन्याकुमारी जनपद में स्थापित यह ग्रामीण अस्पताल नि:स्वार्थ भाव से पशुओं की बेहतर सेवा कर उनकी जान बचाने के लिए हर पल समर्पित रहेगी। अस्पताल की स्थापना की सफलता में निश्चित रूप से  वहां के दयावान  और अत्यंत सहयोगी प्रवृत्ति के लोगों का बहुत बड़ा हाथ है। वहां के लोगों की भावना का प्रभाव पूरे देश में जाएगा और लोगों को जागरूक करेगा जिससे जानवरों पर क्रूरता को रोकने में मदद करेगी।

पशु कल्याण संगठनों को वित्तीय सहायता का प्रावधान

उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड  सभी पशु कल्याण संगठनों और गोशालाओं को  पशु शरण स्थल आधारित पशु चिकित्सालय स्थापित कर निराश्रित पशु जैसे मवेशी, कुत्ते, बिल्ली और अन्य जानवरों की देखभाल और प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। बोर्ड  का  हमेशा प्रयास रहा है कि पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम संचालित कर कैनाइन प्रजाति के पशुओं की आबादी नियंत्रण किया जाना अत्यंत आवश्यक है जिसके लिए बोर्ड निरंतर कटिबद्ध है।  इस दिशा में छुट्टा पशुओं( कुत्तों) के जनसंख्या नियंत्रण तथा रेबीज-रोधी कार्यक्रम के सफल संचालन, पशुओं के रेस्क्यू कार्यों को करने के लिए बोर्ड संस्थाओं को एम्बुलेंस सुविधाएं प्रदान करता है।

डॉ. नीलम बाला ने नागरकोइल के लोगों की इस पहल की सराहना की

बोर्ड सचिव डॉक्टर नीलम बाला ने तमिलनाडु के नागरकोइल जिले के स्थानीय लोगों और ग्रामीणों की सराहना  किया और कहा कि इस तरह की स्थापना के सफलता के पीछे  नागरकोइल के लोगों की प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि बिना उनके सहयोग और समर्थन के इतना बड़ा कार्य नहीं किया जा सकता है। उसने कहा कि “जीवकारुन्या  एनिमल वेलफेयर चैरिटेबल ट्रस्ट – एनिमल एंड रेस्क्यू सेंटर” वास्तव में जैसा नाम “जीवकारुन्या”  उसी तरह का कार्य सुनिश्चित किया है। बेशक इसका असर  पड़ेगा  और संस्था सभी जीवों के प्रति दया या करुणा को वहां के  लोगो में प्रसारित करने में सफल होगी। बोर्ड इस तरह से समर्पित संस्थाओं को अभी प्रेरित कर रहा है और देश भर की संस्थाओं को पशु शरण स्थल आधारित पशु चिकित्सालय स्थापित करने के लिए आवाहन करता है। सचिव ने बताया कि इस तरह के काम करने वाले लोगों को बोर्ड हमेशा उत्साहित करता रहा है और आज भी।  यही कारण है कि बोर्ड पशु कल्याण के सही मार्ग  पर चलने  वाले संस्थाओं के लिए  आज आगे आया है। सचिव ने संस्था के संस्थापक के उद्देश्यों  की सराहना की और कहा कि इस अस्पताल की संस्थापक,  डॉक्टर वसंता लक्ष्मी रवि कुमार  सभी जानवरों के प्रति अत्यंत दयावान है जिसका नतीजा है कि आज यह पशु अस्पताल हमारे सामने है। सचिव ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों को याद दिलाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों में पशु की क्रूरता को रोकने के लिए (पीसीए) अधिनियम, 1960 के प्रावधानों का उल्लेख किया है जिसमें उनके”पांच प्रकार के अधिकारो” के मानदंडों  का विवरण है। उन्होंने आगे कहा कि नियमानुसार पशु कल्याण मानदंडों को लागू कर जानवरों पर होने वाले क्रूरता तथा अपराध को रोकने का कार्य कर उनकी देखभाल करके सभी कल्याण कार्यक्रम चलाए जाएं ।

कन्याकुमारी में बोर्ड अध्यक्ष ने की समीक्षा बैठक

बोर्ड के अध्यक्ष के इस यात्रा के दौरान  कन्याकुमारी जिला प्रशासन से पशु कल्याण के उपायों और  संबंधित नियमों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए  कार्य करने के लिए प्रेरित किया ।  जिला प्रशासन ने इस संबंध में संबंधित विभागों की एक समीक्षा बैठक भी आयोजित की। बोर्ड अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को  यह भी निर्देश दिया कि नियमों के अनुसार एसपीसीए, कन्याकुमारी के कार्यान्वन के लिए उचित ध्यान दें।  कन्याकुमारी के जिला जिलाधिकारी, प्रशांत एम. वडनेरे ने  एसपीसीए अर्थात सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूलेटरी टू एनिमल्स के उचित कामकाज के लिए आश्वासन दिया।

लेखक वरिष्ठ विज्ञान पत्रकार हैं। एडब्ल्यूबीआई (भारत सरकार) में मीडिया प्रमुख की भूमिका निभा चुके हैं।

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