नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। पूरी दुनिया अस्थमा दिवस मना रही है। फेफड़ों में होने वाली इस गंभीर बीमारी के प्रति जागरुकता लाने के लिए को मई महीने के पहले मंगलवार को यह मनाया जाता है। 2024 में इसका थीम है का थीम है- अस्थमा एजुकेशन इंपावर्स।
हर उम्र के लोग हो रहे शिकार
अस्थमा के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में अस्थमा से होने वाली 46 फीसद मौतें अकेले भारत में होती हैं। कम उम्र के लोग यहां तक कि बच्चों को भी ये बीमारी अपना शिकार बना रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल अस्थमा के कारण अनुमानित दो लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2021 रिपोर्ट कहती है कि भारत में अस्थमा के मरीज काफी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। श्वसन रोग विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादा रोगियों में अगर समय रहते अस्थमा का निदान हो जाए तो इसके उचित उपचार से लक्षणों को बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।
समय पर निदान नही तो बड़ा खतरा
इंडियन चेस्ट सोसइटी के अध्यक्ष डॉ संदीप साल्वी बताते हैं कि भारत में बढ़ते अस्थमा रोग के मामलों के लिए प्रमुख कारण इसका समय पर निदान न हो पाना है। भारत में 90 प्रतिशत से अधिक अस्थमा रोगी इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग नहीं करते हैं जिसे इस रोग से बचाव के लिए सबसे आवश्यक माना जाता है। ज्यादार लोगों में रोग का समय पर निदान या इलाज न हो पाने के कारण इस रोग के गंभीर रूप लेने का खतरा देखा जाता रहा है।