नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना महामारी को रोकने के लिए mRNA वैक्सीन विकसित करने वाले वैज्ञानिकों कैटेलिन कैरिको (Katalin Kariko) और ड्रू वीजमैन (Drew Weissman) को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इस वैक्सीन के जरिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शरीर में होने वाले इम्यून सिस्टम के एक्शन और रिएक्शन को और ज्यादा समझ पाए थे।
प्रभावी और सुरक्षित टीका बन सका
mRNA वैक्सीन एक नए प्रकार के टीके हैं जो शरीर की कोशिकाओं को एक प्रोटीन बनाने का तरीका सिखाने के लिए मैसेंजर आरएनए (mRNA) का उपयोग करते हैं जो एक विशिष्ट रोगज़नक़ के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करेगा। mRNA वैक्सीन अत्यधिक प्रभावी और सुरक्षित हैं और उन्होंने वैश्विक कोविड-19 टीकाकरण अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1990 से ही चल रहा था शोध
कारिको और वीसमैन ने 1990 के दशक की शुरुआत में mRNA टीकों पर अपना शोध शुरू किया। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन वे डटे रहे और उनके काम से अंततः पहले सफल mRNAए टीके का विकास हुआ। 2020 में दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में थी। mRNA टीकों पर कारिको और वीसमैन का काम जल्द ही गहन ध्यान का केंद्र बन गयां फार्मास्युटिकल कंपनियों ने कोरोना के खिलाफ टीके विकसित करना शुरू किया और दिसंबर 2020 में Pfizer और BioNTech द्वारा विकसित पहली ऐसी वैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई। तब से, दुनिया भर में अरबों लोगों को mRNA टीके लगाए गए हैं। उन्होंने लाखों लोगों की जान बचाने में मदद की। .