नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। भारत में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का चलन काफी मजबूत है। आयुष की सभी 6 पद्धतियों -आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी-का देशभर में प्रयोग बढ़ गया है। लेकिन इन पद्धतियों में भी आयुर्वेद सर्वाधिक लोकप्रिय है।
NSS के सर्वेक्षण का खुलासा
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। उसने देशभर के 181,298 घरों से जानकारी जुटाई गई थी, जिनमें 104,195 ग्रामीण क्षेत्रों और 77,103 शहरी क्षेत्रों के घर शामिल थे। इसके मुताबिक पिछले एक साल में करीब 46 फीसद ग्रामीण और 53 फीसद शहरी लोगों ने इलाज के लिए किसी न किसी आयुष पद्धति का सहारा लिया। इनमें से सबसे ज्यादा लोकप्रिय आयुर्वेद है। ग्रामीण क्षेत्रों में 40.5 फीसद और शहरों में 45.5 फीसद लोगों ने आयुर्वेद को चुना।
96 फीसद शहरी आयुष से परिचित
सर्वे में लोगों ने आयुष का इस्तेमाल के कारण भी बताये। इनमें सबसे अहम रही आयुर्वेद जैसी पारंपरिक दवाओं का ज्यादा कारगर होना, साइड इफेक्ट्स कम होना, जरूरत के हिसाब से इलाज मिलना और पहले के अच्छे अनुभव। सर्वे में ये भी पता चला है कि भारत में 15 साल से ज्यादा उम्र के करीब 95 फीसद ग्रामीण आयुष के बारे में जानते हैं, जबकि शहरों में ये आंकड़ा 96 फीसद है। हाल यह है कि ग्रामीण और शहरी भारत में क्रमशः 79 फीसद और 80 फीसद घरों में कम से कम एक व्यक्ति को औषधीय पौधों और घरेलू दवाओं की जानकारी है।
12 महीने तक हुआ सर्वेक्षण
यह सर्वेक्षण 2022 से 2023 तक बारह महीने का है। इस सर्वेक्षण में ये भी बताया गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में करीब 24 फीसद घरों में कम से कम एक व्यक्ति को लोकल चिकित्सा या लोकल इलाज पद्धतियों की जानकारी है।