नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। फंगल संक्रमण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी पहली रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि इसकी मृत्यु दर 88 फीसद तक जा सकती है जबकि इसके इलाज की सीमित जानकारी उपलब्ध है। इसके न केवल उपचार सीमित हैं बल्कि नयी प्रभावी दवा का अभाव भी है।
फंगल संक्रमण की दवाएं कम
उसने कहा है कि प्राथमिक रोगजनक सूची (FPPL) के क्रिटिकल प्रायोरिटी श्रेणी में आने वाले फंगस अत्यधिक घातक हैं। चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण अब अधिक लोग प्रतिरक्षा से जुड़ी बीमारियों के साथ जी रहे हैं, जिससे इनवेसिव फंगल संक्रमणों के मामले बढ़ सकते हैं लेकिन यह चुनौती और कठिन बन जाती है क्योंकि निदान (डायग्नोसिस) के लिए जरूरी उपकरणों की उपलब्धता बेहद सीमित है, एंटीफंगल दवाएं कम हैं और नई दवाओं का विकास धीमा है तथा नई दवाओं के बनने की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 वर्षों में केवल चार नई एंटीफंगल दवाओं को अमेरिका, यूरोपीय संघ या चीन में मंजूरी मिली है। इस समय स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माने जाने वाले फंगस के खिलाफ 9 दवाएं क्लिनिकल ट्रायल में हैं लेकिन इनमें से केवल तीन दवाएं ही फेज-3 ट्रायल में पहुंची हैं। यानी अगले 10 वर्षों में बहुत कम नई दवाएं बाजार में आने की उम्मीद है। 22 दवाएं प्रीक्लिनिकल विकास के चरण में हैं, जो पहले के विकास चरणों से जुड़ी ड्रॉपआउट दरों, खतरों और चुनौतियों को देखते हुए एक नैदानिक चरण में उपचार के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है।
फंगल संक्रमण के उपचार में भी गंभीर चुनौतियां
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संगठन की डायग्नोस्टिक्स पर रिपोर्ट बताती है कि कई फंगल रोगजनकों की पहचान के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध परीक्षण मौजूद हैं, लेकिन ये केवल अच्छी तरह सुसज्जित प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों के लिए ही प्रभावी हैं। खासतौर पर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ये परीक्षण लोगों की पहुंच से बाहर हैं। ऐसे देशों को तेजी से सटीक, सस्ते और आसान परीक्षणों की जरूरत है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी आसानी से किए जा सकें। WHO की इस रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि दुनिया को फंगल संक्रमणों से निपटने के लिए दवा और निदान के क्षेत्र में बड़े निवेश की जरूरत है। इसके लिए नई और प्रभावी एंटीफंगल दवाओं, कम लागत वाले और सुलभ डायग्नोस्टिक टूल्स विकसित किए जाएं एवं स्वास्थ्य कर्मियों को फंगल संक्रमण के बारे में अधिक जानकारी और प्रशिक्षण दिया जाए। अगर समय रहते ऐसे कदम नहीं उठाए गए, तो यह गंभीर महामारी का रूप ले सकते हैं।
फंगल संक्रमण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार फंगल रोग एक बढ़ती हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है, जिसमें आम संक्रमण जैसे कैंडिडा, जो मुंह और योनि थ्रश का कारण होता है, उपचार के प्रति तेजी से प्रतिरोधी होता जा रहा है। ये संक्रमण गंभीर रूप से बीमार रोगियों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को असमान रूप से प्रभावित करते हैं, जिनमें कैंसर कीमोथेरेपी से गुजरने वाले व्यक्ति, एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति और अंग प्रत्यारोपण वाले व्यक्ति शामिल हैं। रिपोर्ट में संगठन के एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के सहायक महानिदेशक डॉ. युकिको नाकातानी के हवाले से कहा गया है कि आक्रामक फंगल संक्रमण सबसे कमजोर लोगों के जीवन को खतरे में डालते हैं, लेकिन देशों में जीवन बचाने के लिए जरूरी उपचारों की कमी है।