विवेक शुक्ला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षय रोग या तपेदिक (टीबी) के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने का फैसला लिया है। वे भारत को टीबी से मुक्त करने का ऐलान कर चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दुनिया से सन 2030 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। देश में टीबी के खिलाफ अभियान जारी है। आइए जानते हैं, टीबी के विभिन्न पहलुओं के बारे में….
क्या है पल्मोनरी टीबी
इस टीवी का आशय फेफड़ों की टीवी से है। लगभग 80 से 85 प्रतिशत टीबी मरीज फेफड़ों की टीबी से ग्रस्त होते हैं। इस टीबी के बैक्टीरिया फेफड़ों को प्रभावित करते हैं।
एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी
जब टीबी के जीवाणु फेफड़ों के जरिए रक्त प्रवाह के साथ शरीर के दूसरे अंगों में पहुंच जाते हैं और फिर इन अंगों को क्षीण करने लगते हैं, तो उसे एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहा जाता है। जैसे हड्डियों, आंतों, रीढ़ की हड्डी, लिम्फ नोड्स, गला, लिवर और शरीर के महत्वपूर्ण अंग एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीवी से प्रभावित हो सकते हैं। कुछ लोग मस्तिष्क की टीवी और महिलाएं गर्भाशय की टीवी से भी ग्रस्त हो सकती हैं। लगभग 15 प्रतिशत व्यक्ति एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से ग्रस्त होते हैं।
टीबी के दो स्वरूप
सक्रिय टीबी: जिन लोगों के शरीर में टीबी के जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं तो इस स्थिति में उनमें टीवी के लक्षण प्रकट होने लगते हैं। ऐसे लोग अपनी लापरवाही से दूसरे लोगों को भी टीवी से ग्रस्त कर सकते हैं, सक्रिय टीबी, पल्मोनरी और एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी से ग्रस्त लोगों को अपना शिकार बना सकती है।
असक्रिय टीबी: टीवी के इस प्रकार में लोगों के शरीर मैं इस बीमारी के जीवाणु तो होते हैं, लेकिन वे सक्रिय नहीं होते। इस कारण ऐसे लोगों में टीबी के लक्षण प्रकट नहीं होते और और न ही ऐसे व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करने में सक्षम होते हैं।
ऐसे लक्षणों से हो जाएं सचेत
■ ऐसी खांसी जो पिछले तीन हफ्तों से जारी हो..
■ खांसते समय खून का निकलना.
■ अचानक व्यक्ति का वजन कम होते जाना
■ पीड़ित व्यक्ति को बुखार रहने लगता है
■ भूख का कम होते जाना.
■ थोड़ा सा भी शारीरिक परिश्रम करने पर थकावट या कमजोरी महसूस करना
■ सांस लेते समय सीने में दर्द महसूस होना
■ पसीना बहुत आना
■ फेफड़ों के अलावा अन्य अंगों की जो टीवी होती है, उनके लक्षण उन्हीं अंगों के अनुरूप होते हैं। जैसे रीढ़ की हड्डी के टीबी से ग्रस्त होने के कारण कमर में दर्द का लगातार बने रहना आदि समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इलाज की बात
आमतौर पर टीबी की मुख्य प्रारंभिक दवाएं उपलब्ध हैं, जिनका डॉक्टर की सलाह से नियमित सेवन करने से 6 महीने के अंदर टीबी का मर्ज खत्म हो जाता है। गौरतलब है कि मल्टीड्रग रेजिस्टेंट टीबी और एक्सटेन्सिव ड्रग रेजिस्टेंट टीबी के इलाज में मुख्य प्रारंभिक दवाएं दवाएं अपना असर दिखाना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिति में मरीजों को ‘सेकंड लाइन ड्रग्स’ देने की जरूरत पड़ती है।
साभार