स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

आठ वर्षों में जन औषधि की बिक्री में 100 गुना से अधिक वृद्धि : मांडविया

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। भारतीय फार्मास्यूटिकल उद्योग वैश्विक बाजार में एक अग्रणी भूमिका का निर्वाह कर रहा है और विवेकपूर्ण मूल्य पर व्यापक उपभोग की उच्च गुणवत्तापूर्ण फार्मास्यूटिकल्स की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयत्न करता रहा है। साझीदार देशों के साथ काम करने की भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता जीवंत रिश्ते बनाने तथा इसे केवल व्यापार तक सीमित न रख कर कल्याण तक ले जाने के लक्ष्य के हिसाब से काम हो रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की उपस्थिति में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना पर लगभग 100 साझीदार देशों के विेदेशी मिशनों के प्रमुखों के साथ परस्पर बातचीत के दौरान उक्त बातें कहीं।

हर पांच जेनेरिक गोलियों में से एक भारत की

जेनेरिक में दुनिया भर में भारत की मजबूत उपस्थिति का लाभ उठाते हुए डॉ. मांडविया ने कहा कि भारत को सही मायने में दुनिया की फार्मेसी कहा जाता है। 50 प्रतिशत निर्यात तथा विश्व भर में हर पांच जेनेरिक गोलियों में से एक भारत में उत्पादित होने के साथ, हम दुनिया भर के कई देशों में लोगों के लिए दवाओं को किफायती बनाने में बड़े पैमाने पर योगदान करते हैं। उन्होंने देशों को भारत द्वारा सर्वश्रेष्ठ कार्ययोजनाओं पर गौर करने तथा उनकी स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरुप अपने देशों में उन्हें स्वेच्छा से कार्यान्वित करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कैशलेस उपचार, स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्रों की स्थापना (AB-HWCS) की स्थापना और जन औषधि परियोजना के माध्यम से जेनेरिक दवाओं को लोकप्रिय बनाने जैसी युक्तियों के जरिये किफायती स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने का प्रयास किया है।

50 से लेकर 80 प्रतिशत तक सस्ती दवाऐं

जन औषधि परियोजना के लाभों को दुहराते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह प्रमुख कार्यक्रम आम लोगों, विशेष रूप से निर्धनों के लिए सस्ती दरों पर, वाणिज्यिक बाजार की तुलना में 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक कम मूल्य पर, गुणवत्तापूर्ण दवाएं उपलब्ध कराने का प्रयत्न करता है। इन लाभों के साथ-साथ जन औषधि परियोजना उद्यमियों के लिए खुदरा व्यवसाय आरंभ करने के लिए एक स्रोत है, यह नागरिकों को व्यापक लाभ प्रदान करती है तथा सरकारों के लिए आवश्यक बजटीय सहायता कम है।

वैश्वीकरण में स्वास्थ्य पहलू

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने वैश्वीकरण में स्वास्थ्य पहलू को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य लागत शासन और समृद्धि के लिए केंद्रीय तत्व है। यहां तक कि विकसित देशो के बीच भी, आय विषमता को देखते हुए स्वास्थ्य को कैसे सुलभ बनाया जाए, इस पर पूरी वैश्विक बहस ने हमें एक साथ ला दिया है। उन्होंने कहा कि इस वैश्वीकृत दुनिया में, किफायती, सुगम्यता और उपलब्धता के ट्रिपल ए लिंकेज पर ध्यान केंद्रित किए जाने की आवश्यकता है।

Related posts

70 पार वालों को आयुष्मान कार्ड देने की तैयारी

admin

वायु प्रदूषण में भारत 5वें से 9वें स्थान पर पहुंचा

admin

कोरोना संक्रमण और उससे मौत में भारत दूसरे स्थान पर

admin

Leave a Comment