नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना के बाद वैक्सीन और टीकाकरण अभियान को भले ही सबने आशंकित नजरों सेदेखा लेकिन अब ऐसा नहीं है। दुनिया में सबसे पहले भारत ने ही वैक्सीन बनाई और विशाल जनसंख्या को मुफ्त टीका देकर अभियान चलाया था।
दुनिया को भी मिला भारतीय वैक्सीन
भारत ने न केवल सबसे पहले वैक्सीन बनाई बल्कि भारत के अलावा दुनिया के कई देशों को भी भेजी। अब विश्व आर्थिक मंच के नेताओं ने बीते सोमवार को भारत जैसा बनने का आह्वान कर कहा कि वैक्सीन इक्विटी और व्यापक टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए बाकी सभी को भारतीय मॉडल का पालन करने की आवश्यकता है। यह कोई छोटा रिमार्क नही है।
चारो ओर भारत की धूम
खबरों के मुताबिक भारत दावोस शिखर सम्मेलन में अपनी वैक्सीन नीति के लिए स्टैंडिंग ओवेशन प्राप्त कर चुका है। भारत ने दुनिया को यह आश्वासन दिया कि देश वैश्विक वैक्सीन राजधानी बनने के लिए दृढ़ है और अब भारत अन्य देशों को पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने की स्थिति में है। यह कोई आम बात नहीं जब भारत को इतनी तरजीह ऐसी बैठकों में मिल रही है और भारत अपनी आगे की नीति को उसी बैठक में साझा कर रहा है। मिल रही खबर के मुताबिक वेलकम ट्रस्ट के निदेशक जेरेमी फरार ने कहा कि भारत को अपनी टीका उत्पादन क्षमताएं बढ़ाने के लिए बड़ा श्रेय जाता है। टीका गठबंधन गावी के सीईओ सेठ एफ बर्कली ने कहा कि भारतीय टीका निर्माताओं ने इस बात को समझा कि टीकों की उपलब्धता को व्यापक बनाने के लिए उद्योग को अपने प्रयास बढ़ाने की जरूरत है। ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा कि टीका समानता और इनके न्यायसंगत वितरण व उपयोग से संबंधित वर्तमान मॉडल मुझे सबसे अधिक चिंतित करता है। जिस रफ्तार से टीके बने वह सराहनीय है। भारत एक अच्छा उदाहरण रहा है और सभी को इसी राह पर चलना चाहिए।
वैक्सीन की राजधानी बनेगा भारत
इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने प्रभावित किया था तब अपनी विशाल आबादी की देखभाल करना बहुत जरूरी था और उस समय हमारे पास केवल दो टीका उत्पादक थे। उन्होंने कहा कि अब हमारे पास 10 टीका निर्माता हैं। 14 और टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं और हम दुनिया की वैक्सीन कैपिटल बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं।