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क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल का फर्जीवाड़ा पकड़ा गया ।

क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल के नाम पर कर रहे थे ठगी
क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल के नाम पर कर रहे थे ठगी

दिल्ली /
फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने इस बात से इंकार किया है की आंध्र प्रदेश में क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल नाम के संस्थान से उनका कोई लेना देना है। बिगत कई सालों ने क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल के नाम पर फार्मासिस्टों को डॉक्टर की तर्ज़ पर प्रैक्टिस करने समेत कई तरह के झांसे दिए जा रहे थे । क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल के नाम पर धोखाघड़ी का मामला तब प्रकाश में आया जब मध्य प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल बच्चन ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ़ इंडिया को सूचना के अधिकार के जरिये पूछ डाला । पीसीआई की सचिव अर्चना मुगदल ने अनिल के आरटीआई के अलोक में जबाब देते हुवे ना सिर्फ क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल को फ़र्ज़ी बताया बल्कि आंध्र प्रदेश सरकार, आंध्र प्रदेश फार्मेसी काउंसिल और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया को एक्शन लेने हेतु पत्र लिख दिया ।
क्लीनिकल फार्मेसी काउंसिल के संचालकों फ़र्ज़ी वेबसाइट बना रखी थी। इनके फेसबुक पेज से पांच हज़ार फार्मासिस्ट जुड़े हैं । मामला प्रकाश में आते है जहाँ संचालक फरार है वही वेबसाइट भी ब्लॉक कर दिया गया है । फार्मा एक्टिविस्ट विनय कुमार भारती ने फार्मासिस्टों को सचेत रहने के साथ ही फार्मेसी सम्बन्धी कोई भी जानकारी हेतु सीधे पीसीआई से पत्राचार करने को कहा है ।
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4 comments

k kumar October 7, 2015 at 12:22 pm

how i send you a news

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Vinay Kumar Bharti October 19, 2015 at 1:44 am Reply
Ankit gupta October 12, 2015 at 10:44 pm

Sir aakhir pharmacisto ko apna haq kab milega or kab tak apne haq ke liye ladna hoga.

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avinash sharma October 15, 2015 at 12:34 am

sir plz explain PPR2015 ,,plz interpret it in hindi ,kya pharmacist practice kar skte hai? fees le skte hai? primary care kya kya matlab h ?

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