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विश्व मेट्रोलॉजी दिवस: विज्ञान, उद्योग और जीवन के लिए जरूरी सटीक एवं शुद्ध मापन

वर्ष 1875 में 20 मई के दिन 17 देशों ने एक विश्वव्यापी सुसंगत माप प्रणाली को मान्यता देने के लिए एक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे मीटर कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है।

उमाशंकर मिश्र
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नई दिल्ली, 21 मई (इंडिया साइंस वायर): “विज्ञान, उद्योग एवं जीवन की गुणवत्ता के लिए सटीक एवं शुद्ध मापन जरूरी है। इससे न केवल व्यवस्थित तंत्र स्थापित होता है, बल्कि आविष्कारों को भी प्रोत्साहन मिलता है। सटीक मापन पद्धति हो तो जीवन की रक्षा के साथ-साथ संसाधनों एवं समय की भी बचत होती है।” बुधवार को विश्व मेट्रोलॉजी दिवस के मौके पर आयोजित एक ऑनलाइन वक्तव्य के दौरान ये बातें नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) के निदेशक डॉ डी.के. असवाल ने कही हैं।
डॉ असवाल ने कहा है कि “मापन हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय मापन पद्धति में सात आधार इकाइयां मीटर, किलोग्राम, मोल, कैल्विन, सेकंड, एम्पियर और कैंडेला शामिल हैं। दुनिया में जितनी भी मापन इकाइयां हैं, वे सभी अंततः इन्हीं सात इकाइयों पर आकर टिकती हैं। इन इकाइयों का निर्धारण इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट ऐंड मेजर्स करता है। एक समझौते के तहत ये मानक भारत में एनपीएल में आते हैं, जो इन्हें लागू करने से लेकर संरक्षण और प्रसार का कार्य करता है।”
दूध की मात्रा तोलने, ज्वैलरी खरीदते समय कैरेट से सोने की शुद्धता का पता लगाने, डायबिटीज या ब्लडप्रेशर का पता लगाने से लेकर पर्यावरण में रासायनिक उत्सर्जन के मापन और समुद्र की गहराई या फिर पहाड़ की ऊंचाई का पता लगाने के लिए मापन के विभिन्न आयामों में परिशुद्धता का होना जरूरी है। मशीनों और प्रौद्योगिकियों के विकास में भी इसकी भूमिका बेहद अहम है। इस तरह, मापन जिंदगी से विभिन्न रूपों में जड़ा हुआ है। इसीलिए, मापन की इकाइयों में परिशुद्धता को महत्व दिया जाता है।
क्या है मीटन कन्वेंशन
माप विज्ञान और इसके औद्योगिक, वाणिज्यिक एवं सामाजिक अनुप्रयोगों में वैश्विक सहयोग के लिए रूपरेखा निर्धारित करने में मीटर कन्वेंशन की भूमिका रही है। इस कन्वेंशन का प्रमुख उद्देश्य माप की विश्वव्यापी एकरूपता स्थापित करने का रहा है। मेट्रोलॉजी या माप विज्ञानकी भूमिकाजीवन की गुणवत्ता में सुधार, वैश्विक पर्यावरण की रक्षा के लिए वैज्ञानिक खोजों, औद्योगिक कार्यों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बेहद अहम रही है।
वर्ष 1875 में 20 मई के दिन 17 देशों ने एक विश्वव्यापी सुसंगत माप प्रणाली को मान्यता देने के लिए एक संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे मीटर कन्वेंशन के नाम से जाना जाता है। उसी को याद करते हुए विश्व मेट्रोलोजी दिवस मनाया जाता है। इस बार विश्व मेट्रोलोजी दिवस का केंद्रीय विषय – “वैश्विक व्यापार के लिए मापन” निर्धारित किया गया है।एनपीएल की ओर से लॉकडाउन को देखते हुए विभिन्न विशेषज्ञों एवं वैज्ञानिकों के ऑनलाइन व्याख्यान मेट्रोलॉजी दिवस के मौके पर आयोजित किए गए थे, जिसमेंइस दिवस को मनाये जाने की आवश्यकता, इसके इतिहास, महत्व आदि पर विस्तार से चर्चा की गई है।
भारत में “राष्ट्रीय मापन संस्थान“ (एनएमआई) के रूप में एनपीएल, जो वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध एक राष्ट्रीय प्रयोगशाला है, को संसदीय अधिनियम के तहत नामित किया गया है। एनपीएल को उसके राष्ट्रीय मानकों के संरक्षण, अनुसंधान व विकास और नवीनतम प्रौद्योगिकी के जरिये अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों को भारत में लाने तथा प्रसार से जुड़े कार्यों के लिए जाना जाता है। मापन मापदंडों के संरक्षण के साथ-साथ भारतीय उद्योग, शिक्षा तथा सामरिक क्षेत्रों को उनके प्रयासों में सफलता दिलाने में भई एनपीएल का योगदान महत्वपूर्ण रहा है।

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